B.R. Gavai on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर से लोगों के घर गिराया जाना असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी मामले में आरोपी होने या दोषी ठहराए जाने पर भी घर तोड़ना सही नहीं है। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने बुलडोजर एक्शन पर फैसला दिया है। इस मामले में फैसला देने से पहले जस्टिस बीआर गवई ने एक इमोशनल कविता भी पढ़ी। इसकी हर तरफ चर्चा हो रही है।

जस्टिस बीआर गवई ने कवि प्रदीप की कविता को पढ़ा और बताया कि किसी के लिए उसके घर की कीमत क्या होती है। जब वह गिराया जाता है तो उस परिवार पर क्या बीतती है। जस्टिस गवई ने कवि प्रदीप की कविता का हवाला देते हुए कहा, ‘अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की चाहत है कि एक घर का सपना कभी ना छूटे।’

बुलडोजर एक्शन पर दो जजों की बेंच ने क्या फैसला दिया

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा, ‘अगर किसी संपत्ति को केवल इसलिए गिरा दिया जाता है क्योंकि उस पर आरोप लगाया गया है, तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। कार्यपालिका यह तय नहीं कर सकती कि कौन दोषी है और वह यह तय करने के लिए न्यायाधीश नहीं बन सकती कि वह दोषी है या नहीं और ऐसा करना कानून का उल्लंघन होगा।’

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अधिकारियों का मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं होगा

कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि बुलडोजर एक्शन का मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं होगा। अधिकारी अपने तरीके से काम नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा कि अगर किसी अपराध के लिए केवल एक ही व्यक्ति आरोपी है, तो अधिकारियों को पूरे परिवार या कुछ परिवारों के मुखियाओं से आश्रय हटाने की इजाजत कैसे दी जा सकती है। बता दें कि जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया। इसमें बुलडोजर जस्टिस पर रोक लगाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। विस्तृत खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…