बिहार के माफिया और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के मसले को लेकर दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की पत्नी सुप्रीम में याचिका लेकर पहुंची थीं। लेकिन उनको सुनवाई की तारीख नहीं मिली तो वह आज सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की कोर्ट में जा पहुंचीं। उन्होंने सीजेआई से दरखास्त की कि मामले की तुरंत सुनवाई की जाए। सीजेआई उनकी गुहार पर पिघल गए और रजिस्ट्री को आदेश दिया कि 8 मई को मामले की सुनवाई की तारीख तय की जाए।
27 अप्रैल को हुई थी आनंद मोहन की रिहाई
आनंद मोहन को 24 अप्रैल को इस मामले में रिहा किया गया है। वह 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया की हत्या के मामले में 16 साल जेल में बंद थे। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, बिहार जेल मैनुअल में राज्य सरकार द्वारा किए गए बदलावों के बाद उन्हें जेल से रिहाई मिल गई। उनके साथ बिहार की विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 26 और कैदियों को भी रिहा किया गया था। बिहार सरकार ने जेल मैनुअल से एक खंड को हटा दिया। यह खंड सरकारी अधिकारियों की हत्या में सजा काट रहे दोषी को अच्छे व्यवहार को देखते हुए रिहाई से रोकता था।
उमा कृष्णैया ने बिहार गृह विभाग (जेल) द्वारा बिहार जेल नियमावली, 2012 के नियम 481(1)(ए) में बदलाव के लिए जारी सर्कुलर को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने आनंद मोहन की समय से पहले रिहाई को भी चुनौती दी है।
याचिकाकर्ता की वकील एडवोकेट तान्या श्री ने तुरंत सुनवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया। इसके बाद सीजेआई ने मामले की सुनवाई के लिए 8 मई की तारीख तय कर दी। याचिकाकर्ता का तर्क है कि जेल में कैदी के आचरण और उसके पुराने क्रिमिनल रिकॉर्ड को नजरअंदाज किया गया है।
ये है मामला
गोपालगंज के डीएम रहे दलित आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया को 1994 में भीड़ ने उस समय पीट-पीटकर मार डाला था, जब उनकी गाड़ी मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रही थी। इस दौरान, आनंद मोहन भी मौके पर मौजूद थे। वह मुजफ्फरपुर में खूंखार गैंगस्टर छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए पहुंचे थे।