गैंगस्टर अबू सलेम की तरफ से रिहाई को लेकर दायर की गई याचिका पर गुरुवार (21 अप्रैल, 2022) को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई है। कोर्ट ने अबू सलेम को लेकर केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि वह कोर्ट को ये न बताए कि उसे क्या करना है या क्या नहीं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर जवाब मांगा था कि गैंगस्टर अबू सलेम को कब जेल से छोड़ा जाएगा। पुर्तगाल और भारत सरकार के बीच हुई संधि के मुताबकि, अबू सलेम को 25 साल से ज्यादा समय के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता।

केंद्र ने अबू सलेम की तरफ से दायर याचिका को अपरिपक्व बताते हुए कहा कि गैंगस्टर 2030 में रिहाई के लिए मांग कर सकता है। पुर्तगाल के साथ किए गए वादे को भारत सरकार निभाएगी। केंद्र ने कोर्ट में दायर हलफनामे में टिप्पणी करते हुए कहा कि दो देशों के बीच समझौते का ख्याल रखना सरकार की जिम्मेदारी है, अदालत का नहीं। कोर्ट को सिर्फ सलेम के जुर्म से जुड़े तथ्यों के आधार पर फैसला देना चाहिए। केंद्र के इस जावब पर ही सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए फटकार लगाई है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र को स्पष्ट होना चाहिए कि वे क्या कहना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा, “हमें गृह मंत्रालय के हलफनामे में ‘हम उचित समय पर निर्णय लेंगे’ जैसे वाक्य पसंद नहीं हैं।” गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा था कि सरकार के लिए अबू सलेम के मामले पर फैसला लेने का “यह उचित समय नहीं है”।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश 1993 के बॉम्बे ब्लास्ट मामले में दोषी अबू सलेम की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। मंगलवार (19 अप्रैल, 2022) को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा पुर्तगाल सरकार को दिए गए आश्वासन पर बाध्य है कि अबू सलेम को दी गई कोई भी सजा 25 साल से अधिक नहीं होगी।