सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केन्द्र सरकार से भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए जल्द से जल्द लोकपाल की नियुक्ति करने के लिए कहा। शीर्ष कोर्ट ने ये टिप्पणी सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के जवाब के बाद की है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि,’केन्द्र सरकार की चुनाव समिति में लोकपाल चुने जाने की प्रक्रिया अभी चल रही है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि लोकपाल चुनाव समिति ने इस मामले पर बीते 10 अप्रैल को बैठक भी आयोजित की थी। सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद यानी 15 मई को होगी।
जारी है चयन प्रकिया: अटॉर्नी जनरल के मुताबिक, केन्द्र सरकार ने लोकपाल चुने जाने के लिए लोकपाल चयन समिति का गठन कर दिया है। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अभी इस मामले पर कोई फैसला नहीं किया जा सकता है, जब तक भारत सरकार जल्द से जल्द लोकपाल नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरा न कर ले।
बता दें कि वरिष्ठ वकील पी.पी. राव को पहले लोकपाल चयन समिति में बतौर विधि विशेषज्ञ शामिल किया गया था। लेकिन, पिछले साल उनके निधन के बाद से ये पद अभी तक खाली है।
एनजीओ ने दायर की याचिका : सुप्रीम कोर्ट में आज एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हो रही थी। याचिका ने कहा गया था कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 27 अप्रैल को लोकपाल नियुक्ति के लिए फैसला दिया था।
Appointment of Lokpal matter: Attorney General (AG) K K Venugopal today submitted to Supreme Court that the Selection Committee had met on April 10. Supreme Court said it would hear the matter after four weeks.
— ANI (@ANI) April 17, 2018
फैसले में केन्द्र सरकार को जल्द से जल्द लोकपाल की नियुक्ति करने का आदेश दिया गया था। लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी अभी तक लोकपाल की नियुक्ति केन्द्र सरकार ने नहीं की है।
‘व्यवहारिक है लोकपाल कानून’ : याचिकाकर्ता का कहना है कि,’पिछले साल फैसला देते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अब केन्द्र सरकार के पास अब कोई तर्क नहीं है, जिसके आधार पर वह लोकपाल अधिनियम और उसमें प्रस्तावित सुधारों को लागू करते हुए जनलोकपाल की नियुक्ति को टाल सके।’
जबकि इस मामले के साथ ही लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को लेकर उठा विवाद भी शामिल था, जिसे संसद में सुलझा लिया गया। कोर्ट के मुताबिक,’ ये एक्ट पूरी तरह से व्यवहारिक है और इसकी वजह से प्रावधानों को लागू करने में कोई समस्या नहीं है।’