सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पुरी के जगन्नाथ में होने वाली सालाना रथयात्रा पर रोक लगाने का फैसला किया है। यह यात्रा इस साल 23 जून को होनी थी। हालांकि, करीब 5 दिन पहले ही कोर्ट ने कोरोनावायरस महामारी का हवाला देते हुए इसे रोकने की बात कही है। कोर्ट में जगन्नाथ यात्रा रोकने के लिए एक एनजीओ ओडिशा विकास परिषद की ओर से याचिका लगाई गई थी। याचिका में कहा गया था कि रथयात्रा में भीड़ जुटने से सार्वजनिक तौर पर लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा पैदा हो सकता है।
इन्हीं दलीलों के आधार पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने कहा कि अगर हमने यात्रा की मंजूरी दी तो भगवान जगन्नाथ भी हमें माफ नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महामारी के समय इस तरह की भीड़ जुटने की इजाजत नहीं दी जा सकती। सीजेआई ने आगे कहा कि हमें आज पता चला कि अंग्रेजी का जगरनॉट शब्द (प्रलयकारी शक्ति) जगन्नाथ से आया है। और कोई भी प्रलयकारी शक्तियों को कभी नहीं रोक सकता।
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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को इस तरह पूरी रथयात्रा पर ही बैन नहीं लगाना चाहिए। बिना भीड़ जुटाए इस परंपरा को जारी रखने की कुछ छूट दी जानी चाहिए। इस पर सीजेआई बोबडे ने कहा कि हमें अपने अनुभव से पता है कि अगर हमने कोई धार्मिक गतिविधि की छूट दी, तो वहां लोग जुटेंगे ही। इसलिए रथयात्रा रोकने के फैसले के लिए भगवान जगन्नाथ हमें माफ कर देंगे।
बता दें कि बालासोर जिले के 12 मंदिर, मयूरभंज के 6, संबलपुर के 5, कंधमाल, बलंगीर और गजपति के 2-2 मंदिरों ने पहले ही ऐलान किया है कि वे इस साल मंदिर परिसर के बाहर रथयात्रा नहीं निकालेंगे। ओडिशा में लॉकडाउन के ऐलान के बाद से ही पुरी के जगन्नाथ मंदिर के साथ अन्य सभी मंदिर भक्तों के लिए पूरी तरह बंद रखे गए हैं।