Woman Wing Commander Nikita Pandey: सुप्रीम कोर्ट ने विंग कमांडर निकिता पांडे के मामले में सुनवाई करते हुए एयर फोर्स से कहा है कि वह उन्हें अगले आदेश तक कार्यमुक्त न करे। निकिता पांडे के स्थायी कमीशन (Permanent Commission) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अहम टिप्पणियां भी की हैं।

विंग कमांडर निकिता पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि उन्हें स्थाई कमीशन देने से इनकार कर दिया गया। इसके खिलाफ विंग कमांडर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। विंग कमांडर निकिता पांडे ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट जैसी अहम मिलिट्री कार्रवाइयों का हिस्सा रह चुकी हैं।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले को सुना और नोटिस जारी किया। अदालत ने विंग कमांडर निकिता पांडे को उनकी सेवा से मुक्त किए जाने के फैसले पर रोक लगा दी।

‘जमानत की सुनवाई को 27 बार कैसे टाल दिया?’, SC ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को लगाई फटकार

निकिता पांडे की ओर से सीनियर एडवोकेट डॉक्टर मेनका गुरुस्वामी अदालत में पेश हुईं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि विंग कमांडर निकिता पांडे एक्सपर्ट फाइटर कंट्रोलर हैं और उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट के दौरान मैनेज्ड इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम में विशेषज्ञ के रूप में काम किया था।

स्थाई कमीशन लेने से क्यों रोका?

याचिकाकर्ता की वकील ने अपील की थी कि उनकी मुवक्किल सेना में 13.5 साल से ज्यादा वक्त तक सेवा कर चुकी हैं लेकिन 2019 की एक नीति की वजह से उन्हें अपनी नौकरी को एक महीने के भीतर ही समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा। वकील ने अदालत को यह भी बताया कि विंग कमांडर निकिता पांडे एयर फाइटर कंट्रोलर्स एक्सपर्ट की मेरिट लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं।

‘सारी हदें पार कर दीं’, सुप्रीम कोर्ट ने ED को लगाई फटकार, जारी किया नोटिस; जानें मामला

जब बेंच ने इस बात की जांच की कि विंग कमांडर को आखिर स्थाई कमीशन लेने से क्यों रोका गया तो सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि बोर्ड ने विंग कमांडर को अनफिट पाया था हालांकि उनके मामले पर विचार करने के लिए एक अलग बोर्ड बनाया गया है। इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “उन्हें कुछ वक्त तक काम करने दें।”

ASG ने रखा comparative merit का तर्क

इस पर ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि उन्हें अदालत के इस निर्देश पर कोई आपत्ति नहीं है हालांकि उन्होंने यह तर्क अदालत के सामने रखा कि सेना में बहुत सारे अफसर प्रतिभाशाली हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल कॉम्परेटिव मेरिट (comparative merit) का है। ASG ने इस दौरान सेना को युवा बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “steep pyramidical structure” को बनाए रखने के लिए कुछ ऑफिसर्स को 14 साल की नौकरी करने के बाद सेना से बाहर जाना होता है।

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सेना में इतनी क्षमता होनी चाहिए कि वह शॉर्ट सर्विस कमीशन के सभी अफसरों को स्थाई कमीशन दे सके जिससे किसी को भी इसे देने से इनकार न करना पड़े। इसके जवाब में ASG ने कहा कि 100 अफसर में से 90 से 95% अफसर फिट होते हैं लेकिन वह सिर्फ कॉम्परेटिव मेरिट के मामले में पीछे रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि सीमित संख्या में पोस्ट होती हैं और pyramidical structure बहुत कठिन है।

इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत ने सेना की तारीफ की लेकिन यह भी कहा कि अनिश्चितता का भाव अफसरों के लिए अच्छा नहीं हो सकता।

यह भी पढ़ें- ‘मॉर्निंग वॉक के दौरान पत्नी पूछती है और कोई केस बचा है…’,