पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बीते दिनों चंडीगढ़ स्थित पंजाब के मुख्यमंत्री आवास के सामने की बंद पड़ी सड़क को खोलने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जहां से आम आदमी पार्टी की शासन वाली मान सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अगली तारीख तक मुख्यमंत्री आवास के सामने वाली सड़क को आम आदमी के लिए खोलने के आदेश पर रोक लगा दी है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में शामिल सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए 2 सितंबर तक जवाब मांगा है। इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले का पंजाब सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार ने भी विरोध किया है।
1980 में सुरक्षा की वजह बंद की गई थी सड़क
चंडीगढ़ में पंजाब के सीएम भगवंत मान का आवास है। आवास के सामने की सड़क को बीते दिनों पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रायोगिक आधार पर खोलने का आदेश दिया था। लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने रोक लगा दी। पीठ ने कहा कि पंजाब और केंद्र सरकार दोनों ने हाईकोर्ट के आदेश का विरोध किया था। जिस सड़क के खोलने को लेकर विरोध किया जा रहा है। उसको खतरे की आशंका की वजह से 1980 में सरकार द्वारा बंद कर दिया गया था।
पंजाब में तेजी पांव फैला रहा आतंकवाद
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 1980 के दशक में जब इस सड़क को सरकार द्वारा बंद किया गया था। उस दौरान पंजाब में आतंकवाद तेजी से अपना पांव फैला रहा था। इस आधार पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से सड़क को बंद कर दिया गया था। यह सड़क 500 मीटर की है, जो सड़क सुखना झील को चंडीगढ़ के नयागांव से जोड़ती है। इसी सड़क को हाईकोर्ट ने 1 मई से खोलने का आदेश दिया था।
मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि कई बार लोगों को थोड़ी बहुत असुविधा होती है… लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पंजाब सरकार द्वारा कहा गया कि पंजाब में फिर से आतंकवाद पनप रहा है। जिस सड़क की बात हो रही है। वहां से एक रॉकेट ग्रेनेड की दूरी पर सीएम आवास है।
वहीं शीर्ष अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट ने सुरक्षा मामले पर कहा कि सुरक्षा संबंधी खतरा केवल ‘कल्पना की उपज है.’ इसके साथ ही तुषार मेहता ने कहा कि यह किसी के जीवन के साथ खिलवाड़ है।