Supreme Court on Property Fraud: देशभर में बिल्डर और प्रॉपर्टी खरीददारों के बीच डील में अलग-अलग नियमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। प्रॉपर्टी खरीदने वालों के साथ होने वाली धोखाधड़ी के चलते लोगों को मोटा नुकसान होता है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रॉपर्टी खरीदने के लिए पूरे देश में एक नियम तय किया जाना चाहिए, जिससे लोगों के साथ धोखाधड़ी न हो। कोर्ट ने कहा है कि इसके लिए बेचने और खरीदने वालों के लिए पूरे देश में एक ही नियम होना चाहिए।
दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर कहा कि लोग पूरे देश में प्रॉपर्टी खरीदने के दौरान बड़ी धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं, इसलिए इसके लिए कुछ नियम तय किए जाने चाहिए। बता दें कि इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच कर रही है। बेंच ने कहा है कि बायर्स पर बिल्डर क्या-क्या चीजें थोप सकते हैं। इसे लेकर एक देशव्यापी नियम होना चाहिए।
अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा नियम राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बनता है तो लोगों के साथ ऐसे प्रॉपर्टी खरीदने के दौरान धोखाधड़ी होती रहेगी। बता दें सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई की बेंच प्रॉपर्टी से जुड़े इस मुद्दे पर वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से 2020 में दाखिल पीआईएल पर सुनवाई कर रही थी। चीफ जस्टिस की इस बेंच में जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे।
सुनवाई के दौरान वकील देवाशीष भारूका ने बताया कि इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है। इसके अलावा बिल्डर और बायर्स के बीच अग्रीमेंट की ड्राफ्ट कॉपी भी दी गई है। इसमें राज्य सरकारों की ओर से मिले सुझावों को भी शामिल किया गया है। इसके साथ ही अदालत ने अगली सुनावई 19 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी है।
CREDAI की आपत्तियों पर हो विचार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में क्रेडाई यानी कनफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से दी गई आपत्तियों पर भी विचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में क्रेडाई यानी कनफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से दी गई आपत्तियों पर भी विचार करना चाहिए।
अदालत ने इससे पहले जनवरी 2022 में कहा था कि नेशनल मॉडल बिल्डर- बायर अग्रीमेंट होने चाहिए। इससे घर के खरीददारों परेशान नहीं होना होगा। कई बार रियल इस्टेट डिवेलपर्स गैर- जरूरी शर्तें भी लाद देते है। अदालत का कहना था कि मिडिल क्लास के घर खरीददारों को इसके चलते परेशानी होती है। बेंच ने केंद्र सरकार से कहा था कि स्टैंडर्ड फॉर्म तैयार होना चाहिए, जो हाउसिंग एग्रीमेंट के दौरान भरा जाए।