Congress MP Imran Pratapgarhi FIR: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को उनकी एक कविता के मामले में दर्ज एफआईआर पर राहत दी है। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की बेंच ने प्रतापगढ़ी को अंतरिम राहत देते हुए आदेश दिया कि कोर्ट के अगले आदेश तक एफआईआर के आधार पर सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

कोर्ट ने मंगलवार को इमरान प्रतापगढ़ी द्वारा दायर अपील पर गुजरात सरकार और शिकायतकर्ता किशनभाई दीपकभाई नंदा को नोटिस जारी किया। इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात के जामनगर में एफआईआर दर्ज की गई थी।

इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ यह एफआईआर सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई एक क्लिप को लेकर की गई थी जिसमें बैकग्राउंड में ‘ऐ खून के प्यासे बात सुनो’ कविता चल रही थी। इमरान प्रतापगढ़ी कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रतापगढ़ी भी हैं।

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एफआईआर में कहा गया था कि इस गाने के बोल भड़काऊ, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं।

क्या है यह पूरा मामला?

कांग्रेस नेता के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने) और धारा 197 (राष्ट्रीय एकता को ख़तरे में डालना) सहित विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। प्रतापगढ़ी द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर साझा की गई 46 सेकंड की वीडियो क्लिप में दिखाया गया है कि जब वह हाथ हिलाते हुए चल रहे थे तो उन पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाई जा रही थीं और बैकग्राउंड में एक गाना बज रहा था।

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कांग्रेस नेता ने गुजरात हाई कोर्ट के 17 जनवरी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि जांच बिलकुल प्रारंभिक चरण में है। कोर्ट ने कविता की भाषा पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस पोस्ट पर आए रिएक्शन से सामाजिक सौहार्द में बाधा पैदा हो सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रतापगढ़ी ने 4 और 15 जनवरी को जारी किए गए नोटिसों का जवाब नहीं दिया, जिसमें उन्हें 11 और 22 जनवरी को जांच में उपस्थित होने के लिए कहा गया था।

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