उच्चतम न्यायालय ने बॉलीवुड फिल्म पद्मावती की रिलीज पर रोक लगाने संबंधी याचिका को शुक्रवार को अस्वीकार करते हुए कहा कि सेंसर बोर्ड किसी भी फिल्म को प्रमाणपत्र देने से पहले सभी पहलूओं पर गौर करता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि रिलीज से पहले फिल्म को प्रमाणपत्र देने के संबंध में सेंसर बोर्ड के पास अनुपालन के लिय पर्याप्त दिशा-निर्देश हैं। पीठ सिद्धराज सिंह एम. चूडासामा और 11 अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिका में प्रतिष्ठित इतिहासकारों की एक समिति बनाने का अनुरोध किया गया था जो फिल्म में रानी पद्मावती के फिल्मांकन में किसी गलती को रोकने के लिए पटकथा की जांच करे। याचिका में यह भी अनुरोध किया गया था कि निर्माता..निर्देशक द्वारा फिल्म से इतिहास संबंधी कथित गड़बड़ियां दूर होने तक इसकी रिलीज प्रतिबंधित कर दी जाए। वहीं, राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया का कहना है कि पद्मावती फिल्म को लेकर की गई आपत्तियों और उनसे उपजे विवाद के मद्देनजर सरकार एक कमेटी बनाने पर विचार कर रही है।

कटारिया ने कहा, ‘‘मैं आज अधिकारियों के साथ एक बैठक करूंगा जिसमें हम लोग राजस्थान में पद्मावती फिल्म से संबंधित मामलों पर कमेटी बनाने के लिए विचार करेंगे।’’ कमेटी में संभवतया: इतिहासकारों को सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा। राजपूत समाज के नेताओं और कई संगठनों ने फिल्म में रानी पद्मावती से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ किए जाने का आरोप लगाते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। भाजपा विधायक और जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य दीया कुमारी, करणी सेना, बजरंगदल और अन्य का कहना है कि फिल्म में इतिहास के साथ की गई छेड़छाड़ को स्वीकार नहीं किया जाएगा।