Assam News: पिछले हफ्ते सुनाए गए एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने असम निवासी रहीम अली को भारतीय नागरिक घोषित किया, जिसके साथ ही एक 12 साल की जद्दोजहद खत्म हुई है। इसकी शुरुआत राज्य में विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा उन्हें विदेशी करार दिए जाने से हुई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले उन्हें देश का नागरिक घोषित किया। सुप्रीम कोर्ट के सामने जो लंबे वक्त तक भारतीय नागरिक होने की बात साबित करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन जब फैसला आया तो दो साल पहले ही उनकी मौत हो गई है।
रहीम अली अपनी कब्र में एक “विदेशी” और “बांग्लादेश से अवैध आप्रवासी” का भारी टैग के साथ गए, लेकिन अब उनकी पहचान एक भारतीय के तौर पर ही होगी। असम के नलबाड़ी जिले के काशिमपुर गांव के निवासी अली की 28 दिसंबर, 2021 को 58 वर्ष की आयु में उनके गांव में मृत्यु हो गई, जबकि सुप्रीम कोर्ट में उनका केस जारी रहा था।
2012 में घोषित हो गए थे विदेशी
यह तब हुआ जब 2012 में न्यायाधिकरण ने एकपक्षीय आदेश जारी कर उन्हें विदेशी घोषित कर दिया था क्योंकि वह उसके समक्ष उपस्थित नहीं हुए थे। न्यायाधिकरण ने कहा था कि वह विदेशी अधिनियम की धारा 9 के तहत अपना दायित्व निभाने में विफल रहे हैं। जब उन्होंने इसके खिलाफ अपील की तो गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी थी कि वह मेडिकल स्थिति के कारण न्यायाधिकरण के समक्ष उपस्थित होने में असमर्थ है।
वकील को नहीं बता थी मौत की बात
इसके बाद रहीम अली ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने 2017 में मामले को विदेशी न्यायाधिकरण को सौंपने का निर्देश दिया ताकि यह फिर से तय किया जा सके कि वह विदेशी है या नहीं। इस बार भी न्यायाधिकरण ने उनके द्वारा प्रस्तुत कुछ दस्तावेजों में वर्तनी और तारीखों में विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए उन्हें विदेशी घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में अली का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील कौशिक चौधरी ने कहा कि निचली अदालत के वकील द्वारा मामला उन्हें सौंपे जाने के बाद से ही वह निशुल्क ऐसा कर रहे थे। चौधरी ने कहा कि उन्हें अली की मौत के बारे में पता नहीं था।
किसी और के घर में बिताते थे रात
उन्होंने यह भी कहा कि यह कभी हमारी जानकारी में नहीं आया। हम इस बारे में तभी जान सकते थे जब परिवार या राज्य द्वारा इस बारे में बताया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इन मामलों में लोग शिक्षित नहीं हैं, इसलिए जानकारी उनके पास ही रह गई, हमें कुछ पता ही नहीं चल पाया।
अली की पत्नी हाजेरा बीबी ने उस वक्त को याद करते हुए बताया कि ट्रिब्यूनल द्वारा उसे विदेशी घोषित किए जाने के बाद, उन्होंने पूरे तीन महीने तक घर पर सोना बंद कर दिया था। उन्हें डर था कि पुलिस रात में आकर उसे ले जाएगी। इसलिए वह हर रात चुपचाप निकल जाता और किसी और के घर में रात बिताता। मेरे अलावा किसी को नहीं पता था कि वह घर पर नहीं है, यहाँ तक कि मेरे बच्चों को भी नहीं।
रहीम के घर वालों को अभी तक नहीं पता था कोर्ट का फैसला
रहीम को भारतीय नागरिक घोषित कर दिया गया, यह बात उनके घर वालों को पता ही नहीं थी। जब इंडियन एक्सप्रेस की टीम उनके गांव पहुंची तो उनके बेटे हबीबुर रहमान को भी कुछ पता नहीं था, उन्हें कोर्ट के फैसले की कॉपी दिखाई तो वे उसे पढ़ ही नहीं पाए।