उच्चतम न्यायालय ने व्यापमं घोटाले में सीबीआई को स्थानांतरित होने तक मध्य प्रदेश पुलिस की एसआईटी और एसटीएफ को आरोपपत्र दायर करने की आज अनुमति दे दी।
प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने सीबीआई के इस आवेदन पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 24 जुलाई तय की कि राज्य पुलिस की जांच एजेंसियों को घोटाले से जुड़े मामलों में आरोपपत्र दायर किए जाने की अनुमति दी जाए।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीबीआई के आवेदन पर जवाब देने के लिए समय मांगा। पीठ ने इसे मान लिया और सुनवाई की अगली तारीख 24 जुलाई निर्धारित की।
सीबीआई ने 16 जुलाई को इस आग्रह के साथ शीर्ष अदालत से संपर्क किया था कि व्यापमं घोटाले से जुड़े 185 से अधिक मामलों को एसआईटी से सीबीआई को सौंपे जाने में समय लगेगा और राज्य की जांच एजेंसियों को उन मामलों में आरोपपत्र दायर करने की अनुमति दी जाए जिनमें जांच पूरी हो चुकी है।
जांच एजेंसी ने कहा था, ‘‘अन्यथा, आरोपियों को निर्धारित समय के भीतर आरोपपत्र दायर नहीं होने के आधार पर जमानत मिल जाएगी।’’
उच्चतम न्यायालय ने नौ जुलाई को व्यापमं घोटाले से जुड़े सभी मामलों और कथित तौर पर इससे जुड़ी मौतों के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश परित किया था। एक याचिका दिग्विजय सिंह ने दायर की थी और घोटाले से जुड़े सभी मामलों की जांच सीबीआई से कराने का आग्रह किया था।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि घोटाले से जुड़े करीब 49 लोगों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आरोप को खारिज किया है। आधिकारिक आंकड़ा करीब 25 मौतों का है। इस बारे में राज्य सरकार का कहना है कि इसमें आत्महत्या, दुर्घटना और अन्य अप्राकृतिक मौतें शामिल हैं।
करोड़ों रुपये के व्यावसायिक परीक्षा घोटाले में राजनीतिक नेताओं और नौकरशाहों सहित कई हाई प्रोफाइल लोग शामिल बताए जाते हैं।