Over The Top (OTT) और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है और केंद्र सरकार व अन्य को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में दायर याचिका बेहद गंभीर है। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि आपको इस बारे में कुछ करना चाहिए।
केंद्र ने अदालत को बताया कि कुछ नियम लागू हैं और कुछ पर विचार चल रहा है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि अश्लील कंटेंट को नियंत्रित करने का काम कार्यपालिका और विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। जस्टिस गवई ने कहा “यह हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है, आप कुछ करें।”
क्या कहा था याचिका में?
अदालत में दायर याचिका में मांग की गई थी कि वह केंद्र को OTT और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट की स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दे। याचिका में इन प्लेटफॉर्म पर अश्लील कंटेंट को प्रतिबंधित करने के लिए National Content Control Authority के गठन के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग की गई थी।
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याचिका में दावा किया गया था कि सोशल मीडिया साइट्स पर ऐसे पेज या प्रोफाइल हैं जो बिना किसी फिल्टर के अश्लील कंटेंट दिखा रहे हैं और अलग-अलग OTT प्लेटफॉर्म ऐसा कंटेंट स्ट्रीम कर रहे हैं जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देने वाली चीजें हैं।
याचिका में कहा गया था कि ऐसा कंटेंट न सिर्फ बच्चों, युवाओं बल्कि बड़ी उम्र के लोगों के दिमाग पर भी असर करता है और इससे अप्राकृतिक यौन प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता है और इस वजह से अपराध भी बढ़ता है। याचिका में कहा गया था कि अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो इसका सामाजिक मूल्यों, मानसिक स्वास्थ्य और सार्वजनिक सुरक्षा पर गंभीर असर हो सकता है। आगे कहा गया था कि इंटरनेट की आसान पहुंच ने गलत कंटेंट को सभी उम्र के यूजर्स के लिए उपलब्ध करा दिया है।
वक्फ कानून पूरी तरह वैध, चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज किया जाए
याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने का निर्देश दिया जाए और इसमें इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल किया जाए। यह कमेटी सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन की तर्ज पर OTT और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर क्या कंटेंट दिखाया जाना है, इसे तय करने का काम करे और ऐसा तब तक हो जब तक इस संबंध में कोई कानून नहीं बन जाता।
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