देश की सर्वोच्च न्यायालय ने ‘आम्रपाली समूह’ के सीएमडी अनिल कुमार शर्मा को जमकर लताड़ लगाई। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने शर्मा को घर-खरीददारों के 94 करोड़ रुपये अपने बैंक खाते में जमा करने पर कड़ी फटकार लगाई, साथ ही मल्टी-नेशनल कंपनी जेपी मॉर्गन से 140 करोड़ रुपये के शेयर खरीदने वाले शख्स का नाम उजागर करने के लिए कहा और कहा अगर वह नाम उजागर नहीं करते हैं, तो उन्हें जेल जाने के लिए तैयार रहना होगा। शीर्ष अदालत ने शर्मा को आखिरी मौका देते हुए उन्हें घर-खरीददारों के 6.55 करोड़ रुपये लौटाने के आदेश दिए, जिसे उन्होंने अपनी बेटी के खाते में ट्रांसफर कर दिया था। कोर्ट ने 28 फरवरी तक 94 करोड़ रुपये उनके बैंक खाते में जमा करने के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है।

गौरतलब है कि आम्रपाली समूह द्वारा दो छोटी कंपनियों ‘नीलकंठ’ और ‘रुद्राक्ष’ को 140 करोड़ का शेयर बेच दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पाया कि ‘नीलकंठ’ और ‘रुद्राक्ष’ का मालिक चंदन कुमार नाम का शख्स है, जो आम्रपाली में “चपरासी” के पद पर कार्यरत था और विवेक मित्तल का रिश्तेदार है। शीर्ष अदालत ने मामले में कीमत तय करने वाले एक व्यक्ति को नियुक्त किया है। कोर्ट ने उससे जेपी मॉर्गन रियल स्टेट और आम्रपाली द्वारा फंड ट्रांसफर के साथ-साथ नीलकंठ तथा रुद्राक्ष के बेचे गए शेयर की पूरी रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इसके अलावा वैल्यूअर (कीमत तय करने वाला) से उन 5,229 फ्लैटों की कीमतों के आंकलन के लिए कहा है जो अभी तक नहीं बिके हैं। हालांकि, इनमें वे फ्लैट भी शामिल हैं, जिन्हें आम्रपाली ने खुद के लिए 1, 11 और 12 रुपये में बुक किए थे।

केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा और यूयू ललित की बेंच ने ‘द रॉयल गोल्फ लिंक सिटी प्रॉजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड’ को भी जांच के दायरे में ला खड़ा किया है और उससे शेयर होल्डिंग के पैटर्न, प्रोमोटर्स के नाम और बैलेंस शीट दिखाने के लिए कहा है। कोर्ट ने द रॉयल गोल्फ लिंक सिटी को अगले आदेश उसकी संपत्तियों के अलग करने पर पाबंदी लगा दी है।