दिल्‍ली महिला आयोग की अध्‍यक्ष स्‍वाति मालीवाल ने कहा है कि वक्‍त आ गया है कि महिलाएं हाथों में मोमबत्‍ती लेने के बजाय मशाल थामें। उन्‍होंने यहां सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी ओर से दायर याचिका खारिज किए जाने के बाद कोर्ट के बाहर मीडिया से यह बात कही। उन्‍होंने निर्भया गैंगरेप केस के दोषी को किशोर न्‍याय बोर्ड (जेजेबी) द्वारा रिहा किए जाने के फैसले के खिलाफ अर्जी दी थी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सब कुछ कानून के मुताबिक हो रहा है, लिहाजा दोषी (जो घटना के वक्‍त नाबालिग था) की रिहाई नहीं रोकी जा सकती। उसे अब कैद में रखने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।

निर्भया के साथ बलात्‍कार में शामिल रहा सबसे कम उम्र का मुजरिम रविवार को रिहा कर दिया गया। दिल्‍ली महिला आयोग ने शनिवार आधी रात रिहाई पर स्‍टे के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनकी अर्जी सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने के बाद उन्‍होंने कहा, ‘आज का दिन महिलाओं के लिए काला दिन है। उस नाबालिग (जो अब बालिग है) को ज्‍यादा सजा दिलाने वाला एक कानून पास नहीं किया जा सका है। वह राज्‍यसभा में लंबित है। राज्‍यसभा ने कानून को लंबित रख देश के साथ धोखा किया है।’