Anil Deshmukh: महाराष्ट्र के गृह मंत्री रहे अनिल देशमुख को फिर से जेल भेजने की सीबीआई की हसरत को जोरदार झटका लगा है। दरअसल एजेंसी ने करप्शन केस में स्पेशल लीव पटीशन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। लेकिन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने उसे खारिज कर दिया है। दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने अनिल देशमुख को बार मालिकों से कथित अवैध रिश्वत और महाराष्ट्र में पुलिस ट्रांसफर और पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के मामले में जमानत दी थी।

जिसके बाद सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में इसे चेलेंज किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि PMLA के एक मामले में हम पहले ही जमानत दे चुके हैं। अब इस मामले पर कोई सुनवाई नहीं होगी।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी थी जमानत

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 दिसंबर को अनिल देशमुख को एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सीबीआई को जमानत के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए 10 दिन का समय दिया था। उन 10 दिनों तक देशमुख को जेल में ही रहना था। इस मामले में अनिल देशमुख की पिछले साल नवंबर में गिरफ्तारी हुई थी।

कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (बाला साहेब) को मिला कर बनाई गई महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में मुंबई में मनमानी वसूल करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को गिरफ्तार किया गया था। देशमुख पर आरोप था कि उन्होंने महाराष्ट्र का गृहमंत्री रहते हुए एपीआई सचिन वाजे को मुंबई के बार से हर महीने 100 करोड़ की वसूली करने के आदेश दिए थे। उसी समय मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के एक लेटर ने भूचाल मचा दिया और उद्धव ठाकरे सरकार को हिला कर रख दिया।

CBI की अपील में क्या था

बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची सीबीआई ने अपनी अपील में दावा किया था कि महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अनिल देशमुख के उच्च-स्तरीय राजनीतिक संबंध बने हुए हैं और उनकी मात्र रिहाई से गवाहों का विश्वास डगमगा जाएगा और सुनवाई खतरे में पड़ जाएगी। देशमुख पर जब वह राज्य के गृह मंत्री थे पुलिस बल के भीतर जबरन वसूली का रैकेट चलाने का आरोप लगाया गया था, और कहा गया था कि वह कथित तौर पर रेस्तरां और बार मालिकों से पैसे वसूलते थे। ये आरोप मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा लिखे गए एक पत्र का हिस्सा थे।