Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के एक मामले में अपनी ओर से तलाक देते हुए पति को निर्देश दिया है कि वो एकमुश्त समझौते के तौर पर पत्नी को 5 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता दे। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने निर्देश देते हुए पिता को अपने बच्चे के भरण-पोषण और देखभाल के दायित्व पर जोर दिया। साथ ही, 1 करोड़ का अलग से प्रावधान करने का निर्देश दिया।

अपीलकर्ता (पति) और प्रतिवादी (पत्नी) शादी के 6 साल बाद करीब दो दशक तक अलग-अलग रहे। पति ने आरोप लगाया था कि पत्नी हाइपरसेंसेटिव है और उसके परिवार के साथ काफी क्रूरता के साथ पेश आती थी। वहीं पत्नी ने आरोप लगाया था कि पति का बर्ताव उसके लिए अच्छा नहीं था। कोर्ट ने इस तथ्य पर विचार करते हुए कि दोनों पक्ष लंबे टाइम से अलग रह रहे थे। कोर्ट ने माना कि शादी पूरी तरह से टूट चुकी है।

कोर्ट ने कुछ कारकों का भी ध्यान रखा

मंगलवार को अपने आदेश में जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की बेंच ने गुजारा भत्ता राशि तय करते समय ध्यान में रखे जाने वाले फैक्टर्स को भी ध्यान के बारे में बताया। कोर्ट ने कहा कि पति दुबई में एक बैंक का सीईओ है और उसका वेतन लगभग 50,000 AED हर महीने का है। इतना ही नहीं उसके पास तीन संपत्तियां भी है। इनकी कीमत लगभग 2 करोड़ रुपये, 5 करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये है।

सुप्रीम कोर्ट में कैसे दर्ज होता है मामला, क्या होती है प्रक्रिया और कितने दिनों बाद आता है फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने जिन कारकों को ध्यान में रखा उनमें पक्षों की सोशल और फाइनेंसियल स्थिति है। साथ ही, पत्नी और बच्चों की जरूरतें। पक्षों की रोजगार की स्थिति क्या है। उसका भी ध्यान रखा गया है। वहीं, गैर कामकाजी पत्नी के लिए सही मुकदमेबाजी की लागत को भी कोर्ट में ध्यान रखा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह फैक्टर कोई भी सीधा फॉर्मूला नहीं बनाते हैं। स्थायी गुजारा भत्ता तय करते समय दिशानिर्देश के तौर पर काम करते हैं।

2004 से अलग रह रहे थे पति और पत्नी

इस जोड़े की शादी 13 दिसंबर 1998 को हुई थी और वे जनवरी 2004 से अलग रह रहे थे। उनके इकलौते बेटे ने अभी-अभी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की थी। जजों ने जोड़े से बंद कमरे में बातचीत की और उनकी सहमति के बाद तलाक को मंजूर कर लिया। अब VHP के कार्यक्रम में बोलने वाले जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग लाएगा विपक्ष पढ़ें पूरी खबर…