सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामले में एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। इतना ही नहीं चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जालिम मर्द रहम के हकदार नहीं हो सकते। एक महिला से जुड़े मामले में सीजेआई की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में एक अन्य मामले में उन्होंने लड़की के उत्पीड़न के आरोपी से शादी करने के लिए पूछा था। इसे लेकर पहले ही राजनीतिक दल और महिला अधिकारों के कार्यकर्ता चीफ जस्टिस का विरोध कर चुके हैं।

बताया गया है कि इस मामले में महिला के पति ने राहत के लिए कई अहम दलीलें दीं। पर सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने महिला के आरोपों के साथ जाने का निर्णय लेते हुए उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। पति ने दावा किया था कि उस पर दहेज उत्पीड़न के आरोप तब लगे, जब उसने एक अन्य व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी की आपत्तिजनक फोटो शेयर करने की पुलिस में शिकायत की थी।

महिला के पति ने वकील के जरिए कहा कि जब दोनों लोग अलग-अलग रह रहे थे, तब उसकी पत्नी ने अपनी सैकड़ों आपत्तिजनक तस्वीरें दूसरे लोगों के साथ साझा की थीं। पति ने कहा कि दहेज उत्पीड़न का आरोप एकतरफा है, जबकि महिला से एक भी पैसा दहेज के तौर पर न मांगा गया और न ही लिया गया।

हालांकि, इस पर बेंच ने कहा कि अगर महिला ने अपनी आपत्तिजनक तस्वीरें किसी के साथ साझा कीं, तो उसे तलाक दिया जा सकता था, पर उसके साथ क्रूरता नहीं बरती जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के साथ ही पति पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। बताया गया है कि इस मामले में पत्नी ने पति के माता-पिता पर भी दहेज उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। हालांकि, उन्हें पहले ही राजस्थान कोर्ट की तरफ से अग्रिम जमानत मिल चुकी है।