Supreme Court Judgement Electoral Bonds: लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। SC ने चुनावी बॉन्ड योजना को अवैध घोषित करार देते हुए इस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। मतदाताओं को पार्टी फंडिंग के बारे में जानने का पूरा अधिकार है।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट का खुलासा करना होगा। 2019 में लागू इस योजना के तहत किस दल को कितना चंदा मिला है, यह जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी। आइए जानते हैं कि कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें…
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- कोर्ट ने कहा कि इलेक्शन बॉन्ड पूरी तरह से असवैंधानिक है। इसमें सूचना के अधिकार का उल्लंघन किया गया है। आम लोगों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि जिस राजनीतिक पार्टी को वह वोट दे रहा है, उन्हें किससे कितना चंदा मिल रहा है और उनकी फंडिंग की व्यवस्था क्या है।
- चुनावी बांड योजना पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि काले धन को रोकने के लिए चुनावी बॉन्ड के अलावा भी दूसरे तरीके हैं। बॉन्ड खरीदने वालें लोगों के नाम सार्वजनिक नहीं होते हैं।
- कोर्ट ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की भी खिंचाई की है। सीजेआई ने कहा कि आप देशभर में चुनाव प्रक्रिया कराने वाली एजेंसी हैं अगर आप को ही नहीं पता होगा कि किस दल को कहां से फंडिंग हो रही है तो चुनाव में पारदर्शिता कहां से आएगी।
- जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को राजनीतिक दलों को मिले चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसबीआई को बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को तीन हफ्ते के भीतर मुहैया करानी होगी और आयोग पूरी जानकारी को अपनी वेबसाइट पर 31 मार्च तक प्रकाशित करेगा।
- कोर्ट ने कहा कि इलेक्शन बॉन्ड के जरिये राजनीतिक पार्टी को मिलने वाली फंडिग किसी गलत भावना को जन्म दे सकती है। किसी कंपनी से मिले राजनीतिक फंड का प्रभाव लोगों के योगदान की तुलना में ज्यादा गंभीर होता है। कोर्ट ने कंपनियों के द्वारा दिए गए फंड को पूरी तरह से व्यवसायिक लेन देन कहा है।
