इंदिरा जयसिंह देश में मानवाधिकारों के मामलों की बड़ी वकील मानी जाती हैं। बीते साल फॉर्च्यून मैगजीन ने उन्हें दुनिया की 50 प्रभावशाली नेताओं में भी शुमार किया था। साल 2009 में वह पहली महिला वकील थीं, जिन्हें भारत की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था। ऐसे में जब गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उन्हें वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर की पत्नी कहा, तो इंदिरा जयसिंह ने फौरन इस पर आपत्ति जतायी है और कहा कि ‘उनका खुद का एक व्यक्तित्व है’। इसके बाद इंदिरा जयसिंह ने अटॉर्नी जनरल से अपना बयान वापस लेने को भी कह डाला। हालांकि बाद में इंदिरा जयसिंह ने अटॉर्नी जनरल से कोर्ट में ही माफी भी मांग ली। जिसके बाद अटॉर्नी जनरल ने भी तुरंत कहा कि वह इंदिरा जयसिंह के बतौर वकील स्किल्स की बहुत इज्जत करते हैं।

बता दें कि सुप्रीम में यह गरमागरम बहस, गुरुवार को वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में हुई। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सरकार ने वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करायी है। यह याचिका प्रशांत भूषण द्वारा बीती 1 फरवरी को किए गए कुछ ट्वीट के चलते दाखिल करायी गई है। जिसमें कोर्ट को यह फैसला देना है कि क्या जब मामला अदालत में विचारधीन है, तब कोई वकील इस पर मीडिया में अपना राय दे सकता है या नहीं? इस मामले में वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि श्रीमति जयसिंह इस मामले में अपनी राय रखना चाहती हैं और उनकी तरफ से वह कोर्ट में उनका पक्ष रखेंगे। इस पर मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस मिश्रा ने पूछा कि ‘क्या इंदिरा जयसिंह?’

इस पर आनंद ग्रोवर ने कहा कि जी हां, इंदिरा जयसिंह। इसी बीच कोर्ट में मौजूद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसमें दखल देते हुए कहा कि ‘तुम्हें ये बताना चाहिए कि वो तुम्हारी पत्नी हैं।’ जैसे ही अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह कहा, तभी इंदिरा जयसिंह आगे आयीं और अटॉर्नी जनरल के कथन पर आपत्ति जताते हुए इसे वापस लेने को कहा। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि “मिस्टर अटॉर्नी, क्या अपना बयान वापस लें। मेरा खुद का व्यक्तित्व है। हमें किसी की पत्नी या पति के रुप में नहीं पहचाना जाना चाहिए। इसलिए हमने एक दूसरे का सरनेम भी नहीं बदला…..मिस्टर अटॉर्नी, कृप्या आप मुझे एक वकील के तौर पर देखें, यह मेरी इच्छा है कि अदालत में कौन मेरा प्रतिनिधित्व करेगा।” बहरहाल बाद में इंदिरा जयसिंह ने माफी मांग ली और केके वेणुगोपाल ने भी इंदिरा जयसिंह की तारीफ की।