सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह भारतीय तटरक्षक बल में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दे। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि योग्य महिला अधिकारियों को इंडियन कोस्ट गार्ड में स्थायी कमीशन मिले। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि महिलाओं को पीछे छोड़ा नहीं जा सकता। उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो सुप्रीम कोर्ट जरूरी कदम उठाएगा।
सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ तटरक्षक बल की एक महिला अधिकारी प्रियंका त्यागी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो बल की पात्र महिला शॉर्ट-सर्विस कमीशन अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन की मांग कर रही थी। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी उस पीठ का हिस्सा थे।
महिलाओं को पीछे छोड़ा नहीं जा सकता- SC
वहीं अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की दलीलों के मुताबिक, स्थायी कमीशन देने में कुछ कार्यात्मक और परिचालन संबंधी कठिनाइयां थीं। जिसके जवाब में सीजेआई ने कहा, “ये सभी कार्यक्षमता जैसे तर्क साल 2024 में मायने नहीं रखते। महिलाओं को पीछे छोड़ा नहीं जा सकता। अगर तुम नहीं करोगे तो हम कर देंगे, तो उस पर एक नज़र डालें।”
अटॉर्नी जनरल के इस बयान के जवाब में कि मुद्दों को देखने के लिए आईसीजी ने एक बोर्ड स्थापित किया है, कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को भी बोर्ड में होना चाहिए। इससे पहले पीठ ने कहा था कि तटरक्षक बल को ऐसी नीति बनानी चाहिए जो महिलाओं के साथ निष्पक्ष व्यवहार करे। फिलहाल याचिका पर आगे की सुनवाई शुक्रवार को तय की गयी है।
पीठ ने केंद्र से इस मुद्दे पर जेंडर न्यूट्रल पॉलिसी लाने को कहा
पीठ ने पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान कहा था, “आप नारी शक्ति की बात करते हैं। अब इसे कर के दिखाइए। इस मामले में आप को ज्यादा जानकारी है। आपको ऐसी नीति बनानी चाहिए जो महिलाओं के साथ उचित व्यवहार करे।” पीठ ने यह भी सवाल उठाया था कि क्या तीन सशस्त्र बलों- सेना, वायु सेना और नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद यूनियन अभी भी पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण अपना रहा है।
पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा था, “आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हो रहे हैं? क्या आप तटरक्षक बल में महिलाओं का चेहरा नहीं देखना चाहते हैं।” बनर्जी पहले आईसीजी के लिए पेश हुए थे। अदालत ने यह भी सवाल किया कि जब भारतीय नौसेना थी तो आईसीजी महिलाओं को स्थायी कमीशन क्यों नहीं दे रहा था। पीठ ने केंद्र से इस मुद्दे पर जेंडर न्यूट्रल पॉलिसी लाने को भी कहा।