सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति से जुड़े विवाद में भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा निशाने पर आ गए हैं। देश के चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और सुप्रीम कोर्ट के चार अन्य पूर्व वरिष्ठ न्यायाधीशों ने मौजूदा विवाद में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से तुरंत और कठोर कदम उठाने की बात कही है। पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा ने मौजूदा संकट के लिए जस्टिस दीपक मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि उन्हें इस बारे में केंद्र सरकार को तुरंत कड़ा पत्र लिखना चाहिए। साथ ही कॉलेजियम की अविलंब बैठक करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस इस तरह फाइल पर कुंडली मारकर नहीं बैठ सकते हैं, जैसा कि केंद्र सरकार ने किया है। जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि साल 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आई थी, तब उस वक्त भी सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश को ठुकरा दिया था। जस्टिस लोढ़ा ने बताया कि उस वक्त कॉलेजियम ने चार लोगों को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की सिफारिश की थी लेकिन मोदी सरकार ने उनमें से तीन का चुनाव कर एक का नाम कॉलेजियम को वापस भेज दिया था।

लोढ़ा ने कहा कि कानून मंत्रालय ने ऐसा तब किया था जब वो विदेश दौरे पर थे लेकिन जैसे ही वो स्वदेश लौटे और उन्हें इस बात की भनक लगी, तब उन्होंने केंद्र सरकार को कड़ा जवाबी पत्र लिखा था। हालांकि, जज के लिए सिफारिश किए गए पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने ही अपना नाम वापस ले लिया था। इससे यह विवाद खत्म हो गया था। बता दें कि साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गोपाल सुब्रमण्यम समेत कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण मिश्रा, उड़ीसा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और प्रसिद्ध वकील रोहिन्टन नरिमन को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने के लिए नामित किया था। इनमें से तीन को सरकार ने स्वीकार कर लिया था।

जस्टिस लोढ़ा के अलावा पूर्व चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने भी केंद्र सरकार द्वारा कॉलेजियम की सिफारिश को दो फाड़ कर उनमें से एक के चुनाव करने और जस्टिस के एम जोसेफ का नाम वापस करने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। इंडियन एक्सप्रेस ने जस्टिस लोढ़ा और जस्टिस ठाकुर के अलावा दो अन्य पूर्व चीफ जस्टिस और चार अन्य पूर्व जस्टिस से भी बात की। उनलोगों ने नाम न छापने की शर्त पर मौजूदा विवाद को गंभीर बताया है और मामले में सीजेआई दीपक मिश्रा द्वारा शिथिलता बरतने को भी गंभीर कहा है।

मौजूदा समय में भी सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने इस साल 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा और उत्तरखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने के लिए सिफारिश की थी। कॉलेजियम की सिफारिश पर जब कानून मंत्रालय ने कोई पहल नहीं की तब फिर से कॉलेजियम ने फरवरी के पहले हफ्ते में कानून मंत्रालय को लिखा। इसके बाद कानून मंत्रालय ने प्रक्रिया शुरू की और सिर्फ इंदु मल्होत्रा की फाइल की आईबी जांच पूरी करवाई। केंद्र ने कॉलेजियम को जस्टिस जोसेफ के नाम पर दोबारा विचार करने का अनुरोध करते हुए फाइल फिर से सुप्रीम कोर्ट भेज दी।