ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दिखाई जा रही सामग्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने हाल ही में नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के लिए जो नई गाइडलाइंस बनाई हैं, वो पूरी तरह बेअसर हैं, क्योंकि इनमें अभियोजन का विकल्प नहीं है।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के कंटेंट को नियंत्रित रखने के लिए सिर्फ गाइडलाइंस बनाने की जगह एक कानून तैयार किया जाना चाहिए और इसी के तहत कंटेंट के मानक तय होने चाहिए। कोर्ट ने तांडव वेब सीरीज मामले में अमेजन प्राइम वीडियो की अपर्णा पुरोहित की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। हालांकि, उन्हें मामले की जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए।

पहले भी ओटीटी के लिए तंत्र बनाने की बात कह चुका है SC: गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले ही कहा कि ‘ओवर दी टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म’ पर कई बार किसी न किसी तरह की अश्लील सामग्री दिखाई जाती है और इस तरह के कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए एक तंत्र की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता इस संबंध में जानकारी देने के लिए कहा था। पीठ ने कहा था, ‘‘संतुलन कायम करने की आवश्यकता है क्योंकि कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री भी दिखाई जा रही है।’’

सुप्रीम कोर्ट में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सुनवाई के दौरान ही डिजिटल मीडिया के लिए नए नियमों को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उद्योग के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। यहां उन्होंने कहा था कि दर्शकों के लिए मंच का अनुभव बेहतर बनाने की खातिर ओटीटी उद्योग, मंत्रालय के साथ भागीदारी करेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि दिशानिर्देश किसी तरह के सेंसरशिप के बजाए विषय वस्तु का स्व-वर्गीकरण करने पर केंद्रित है। नेटफ्लिक्स, ऐमेजॉन प्राइम, हॉटस्टार और अल्ट बालाजी जैसे ओटीटी मंचों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद जावडेकर ने कहा कि उन्होंने सरकार के नए दिशानिर्देशों का स्वागत किया है।

बता दें कि सरकार ने 25 फरवरी को ओटीटी मंचों एवं डिजिटल समाचार मीडिया के लिए नए नियमों एवं दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया था, जिसके तहत उन्हें अपना ब्योरा सार्वजनिक करना होगा और शिकायत निवारण व्यवस्था बनानी होगी।