सुप्रीम कोर्ट ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दो टूक कहा है कि किसी का भी बुलडोजर के जरिए घर नहीं तोड़ा जा सकता। सर्वोच्च अदालत का साफ कहना है कि अगर कोई दोषी भी है, फिर भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता। अब इस मामले में अदालत ने देश व्यापी गाइडलाइन बनाने की बात कर दी है। कोर्ट का मानना है कि वो अवैध निर्माण के खिलाफ नहीं है, लेकिन ऐसे ही तोड़फोड़ नहीं की जा सकती, नियमों का पालन होना जरूरी है।
बुलडोजर एक्शन: गुप्ता जूस कॉर्नर की कहानी
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 17 सितंबर को अगली सुनवाई करने वाला है। उस सुनवाई में तो अहम फैसला आएगा ही, उन लोगों के लिए नई उम्मीद भी जगेगी जिन्होंने इस बुलडोजर कार्रवाई में अपने घर गंवाए हैं। इस लिस्ट में गुप्ता जूस कॉर्नर वाला भी आता है जिसकी दुकान जहांगीरपुरी में गिरा दी गई थी। यह घटना 2022 की है जब जहांगीरपुरी हिंसा के बाद एनडीएमसी ने बुलडोजर कार्रवाई की गई थी। कहा गया था कि अवैध निर्माण के खिलाफ एक्शन हो रहा है, लेकिन गणेश गुप्ता का कहना रहा कि उनके पास तो दुकान के सारे कागज मौजूद थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी उस एक्शन पर रोक लगा दी थी, लेकिन फिर भी एनडीएमसी रुकी नहीं। तर्क दिया गया कि था कि जब तक आदेश की कॉपी नहीं आ जाती बुलडोजर नहीं रुकेगा।
‘आरोप साबित होने पर भी घर पर नहीं चला सकते बुलडोजर…’
गुप्ता के मुताबिक उस कार्रवाई के बाद 6 महीने तक वे अपनी दुकान नहीं खोल पाए। कहीं-कहीं पैसे इकट्ठा किए और अपनी दुकान को फिर बनवाया। उन्होंने यह भी बताया कि उस समय उनकी बेटी की भी शादी होने वाली थी, ऐसे में पैसे की सख्त जरूरत थी। उन्होंने अपनी बेटी के ससुराल से ही पैसे उधार लिए थे, अब वे पूरी जिंदगी वो कर्ज चुकाने वाले हैं।
रतलाम की कहानी, पीड़ित की जुबानी
मध्य प्रदेश के रतलाम से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था जिसमें बीफ ले जाने के शक में एक शख्स के घर पर बुलडोजर चला दिया गया। उस शख्स ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बड़ी बात यह है कि 1990 में उस घर का निर्माण किया गया था जिसे नूर मोहम्मद ने अपनी खून-पसीने की कमाई से बनवाया था। बाद में उस घर को उसने अपने पांच बच्चों में बांट दिया। उसी घर में एक दुकान भी शुरू कर दी गई थी। लेकिन बुलडोजर कार्रवाई में ना वो दुकान बची और ना ही वो घर। अब पीड़ित सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, जोर देकर बोलते हैं कि वे सारे टैक्स भरते हैं, बिजली का बिल देते हैं, ऐसे में उनके खिलाफ ऐसा एक्शन नहीं हो सकता।
अब इन सभी याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट से आखिरी उम्मीद है, उन्हें लग रहा है कि उन सभी को न्याय मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट भी क्योंकि इस एक्शन के खिलाफ टिप्पणी कर चुका है, ऐसे में माना जा रहा है कि कोई बड़ा फैसला आ सकता है।