देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरन संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि पिता की मौत के बाद भी बेटी समान संपत्ति के अधिकार की हकदार है। शीर्ष अदालत के तीन जजों ने कहा कि भले ही पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 लागू होने से पहले हो गई हो, फिर भी बेटियों को माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा।
कोर्ट ने कहा बेटियां जीवन भर के लिए होती हैं और एक बार जो बेटी होती है वह हमेशा बेटी ही रहती है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून के संसोधन के बाद भी बेटी का भी संपत्ति पर हिस्सा होगा, भले ही संशोधन के समय पिता जीवित था या नहीं।
Supreme Court said that daughters will have the right over parental property even if the coparcener had died prior to the coming into force of the Hindu Succession (Amendment) Act, 2005. https://t.co/KibABSasCp
— ANI (@ANI) August 11, 2020
पहले क्या था नियम: दरअसल, देश में 9 सितंबर 2015 से हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 से लागू है। इस कानून के मुताबिक अगर पिता की मौत 9 सितंबर 2005 से पहले हो गई है तो भी बेटियों का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा। पहले नियम यह था कि बेटी तभी अपने पिता की संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी का दावा कर सकती है जब पिता 9 सितंबर, 2005 को जिंदा रहे हों। इस तारीख से पहले पिता की मौत होने पर बेटी का संपत्ति पर कोई हक नहीं था।
कोर्ट के इस फैसले से अब इस नियम में बदलाव हुआ है। संपत्ति के अधिकार के लिए पिता की मृत्यु की तारीख से कोई लेना देना नहीं होगा। 9 सितंबर, 2005 से पहले पिता की मृत्यु के बावजूद बेटी का हमवारिस (Coparecenor) होने का अधिकार नहीं छिनेगा। इसके अलावा गौरतलब यह भी है कि हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 के तहत बेटी की जन्मतिथि का संपत्ति में अधिकार लेने से कोई लेना देना नहीं है। वह भाई के साथ संपत्ति में बराबर की हकदार है।