सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्यों न एससी-एसटी के लिए भी क्रीमी लेयर हो? इस पर केंद्र ने कहा कि एससी-एसटी समुदाय के लोग जो सरकारी नौकरियां कर रहे हैं, उनके प्रमोशन में आरक्षण को क्रीमी लेयर की अवधरणा को लागू कर लाभ लेने से नहीं रोका जा सकता है। अर्टानी जनरल केके वेणुगोपाल ने सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीश की खंडपीठ के समक्ष कहा कि, “ऐसा कोई फैसला नहीं आया है, जो यह कहता है कि एससी / एसटी समुदाय के समृद्ध लोगों को क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू करके कोटा लाभ से वंचित किया जा सकता है।” बेंच में जस्टिस कुरियन जोसेफ, आरएफ नरीमन, संजय किशन कौल और इंदु मल्होत्रा शामिल हैं।
Reservation in promotions in government jobs: Supreme Court asks Union of India as to ‘whether the creamy layer should also be incorporated in SC/ST community.’ pic.twitter.com/oLbske65F4
— ANI (@ANI) August 16, 2018
शीर्ष कानून अधिकारी ने कहा, “भले ही समुदाय के कुछ आगे बढ़े हैं, इसके बावजूद जाति और पिछड़ेपन का कलंक अभी भी उनके साथ जुड़ा हुआ है।” उन्होंने आगे कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कुछ वर्ग को बाहर करने का सवाल राष्ट्रपति और संसद द्वारा तय किया जाना चाहिए। यह कार्य न्यायपालिका के लिए नहीं है। वेणुगोपाल ने कहा कि, “एससी-एसटी समुदाय का एक सही व्यक्ति उच्च जाति की लड़की से शादी नहीं कर सकता। उसे अपनी ही जाति की लड़की से शादी करनी होती है। तथ्य यह है कि कुछ लोग समृद्ध हो गए हैं इसके बावजूद वे अपनी जाति और पिछड़ेपन के छाप को दूर नहीं हो सके हैं।” वेणुगोपाल ने भेदभाव वाली जाति व्यवस्था को देश की दुर्भाग्य के रूप में बताया।
बता दें कि वर्ष 2006 के नागराज फैसले में प्रमोशन में आरक्षण पर कहा गया था कि राज्य अनुसूचित जातियों और जनजातियों को सरकार नौकरी के दौरान प्रमोशन में आरक्षण तभी दे सकती है जब डाटा के आधार पर यह तय हो कि उनका प्रतिनिधित्व कम है। प्रशासन की मजबूती के लिए उनका प्रतिनिधित्व जरूरी है। पांज जजों की खंडपीठ सरकारी नौकरी में एससी-एसटी समुदाय के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण के लिए ‘क्रीमी लेयर’ के मुद्दे पर 12 वर्ष बाद फिर सुनवाई कर रहे हैं।