Supreme Court: शीर्ष अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) और सीमा शुल्क(Customs) से संबंधित मामलों में एफआईआर (FIR) दर्ज न होने पर भी व्यक्ति अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) मांग सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत का प्रावधान वस्तु एवं सेवा अधिनियम और सीमा शुल्क कानून (Customs Act) पर लागू होता है और व्यक्ति गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए कोर्ट जा सकता है, भले ही एफआईआर दर्ज न हो।

सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने पिछले साल 16 मई को उन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिनमें सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के दंड प्रविधानों को चुनौती दी गई थी।

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सीजेआई ने फैसले में क्या कहा?

याचिकाओं में यह भी कहा गया था कि ये प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और संविधान के अनुरूप नहीं हैं। फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि अग्रिम जमानत जैसे मुद्दों पर सीआरपीसी और उसके बाद के कानून – भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के प्रविधान सीमा शुल्क और जीएसटी अधिनियमों के तहत व्यक्तियों पर लागू होंगे।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जीएसटी और सीमा शुल्क अधिनियमों के तहत संभावित गिरफ्तारी का सामना करने वाले व्यक्ति एफआईआर दर्ज होने से पहले भी अग्रिम जमानत मांगने के हकदार हैं। मुख्य याचिका राधिका अग्रवाल ने 2018 में दायर की थी।

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