समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में लाने वाले सेक्शन 377 पर दिए अपने फैसले पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई के लिए तैयार हो गया। एक एनजीओ ने इस फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया है। कोर्ट ने यह भी भरोसा दिलाया कि समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाने की मांग वाले क्यूरिटिव पिटिशन पर जल्द सुनवाई होगी।
आर्टिकल 377 के खिलाफ कोर्ट में जिरह कपिल सिब्बल कर रहे थे। उन्होंने कोर्ट को कहा कि समलैंगिक रिश्तों पर प्रतिबंध लगाने से वर्तमान और भविष्य की पीढि़यां कुंठा में चली जाएंगी। बता दें कि ईसाई संगठन और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आर्टिकल 377 के खिलाफ याचिकाओं का विरोध किया है। याचिका पर सुनवाई कोर्ट के तीन सबसे सीनियर जज-जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस अनिल आर दवे और जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने की।
बता दें कि 12 दिसंबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने सेक्शन 377 की वैधता को कायम रखा था। रिव्यू पिटीशन पर भी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 28 जनवरी 2014 को इस कानून को बनाए रखा।
We’re very happy, now we can produce facts and evidences in a better way -Rituparna Borah, LGBT Activist #Section377 pic.twitter.com/boTPq2FALa
— ANI (@ANI_news) February 2, 2016

