लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को शनिवार (31 दिसंबर) को सेना का मुखिया चुन लिया गया। इसपर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बक्शी ने भी खुशी जाहिर की। इससे पहले तक खबरें आ रही थीं कि बिपिन रावत को चुने जाने के बाद बक्शी इस्तीफा दे सकते हैं। लेकिन इससे उलट बक्शी ने अपने इस्तीफे की सभी खबरों को गलत साबित करते हुए बिपिन रावत से मुलाकात करके सेना का मुखिया चुने जाने पर बधाई दी। इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, जनरल बक्शी ने यह बात नए साल के जश्न में हुए एक कार्यक्रम में बताई। वह कार्यक्रम कोलकात में हुआ था।

लेफ्टिनेंट जनरल बक्शी ने यह भी बताया कि उनको लगता है कि पिछले कुछ महीनों से उनका और आर्मी का नाम खराब करने के लिए एक केंपेन चलाया जा रहा है जिसका पर्दाफाश करने के लिए वह फिलहाल काम करते रहेंगे। हालांकि, बातचीत में बक्शी ने यह भी कहा कि आर्मी चीफ को चुने जाने का फैसला राजीनितक तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। बल्कि उसके लिए सीनियरिटी और मेरिट को ध्यान में रखा जाना चाहिए। बक्शी ने यह भी कहा कि मीडिया और सोशल मीडिया पर आर्मी चीफ के चुने जाने के मुद्दे को ज्यादा उछाला नहीं जाना चाहिए और सभी को मिलकर नए आर्मी चीफ का उत्साह बढ़ाकर उन्हें देश और आर्मी के भले के लिए काम करने देना चाहिए।

दरअसल, सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया थलसेनाध्‍यक्ष चुना था। इसके लिए सीनियरिटी के आधार पर चीफ बनाने की प्रथा को 1983 के बाद पहली बार नजरअंदाज किया गया था। लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को चीफ चुने जाने के लिए कमांड चीफ लेफटिनेंट प्रवीण बक्शी और दक्षिणी कमान के आर्मी चीफ लेफटिनेंट पीएम हारिज को नजरअंदाज किया गया था। इसपर विवाद हुआ था। लोगों ने इसे सांप्रदायिक रंग देकर यह भी कहा था कि मोदी किसी मुस्लिम को चीफ नहीं बनाना चाहते थे।