अंडरवर्ल्ड में सुपारी शब्द का चलन काफी है। इसका इस्तेमाल किसी शख्स की हत्या करने के लिए दिए गए कॉन्ट्रैक्ट के लिए किया जाता है। हालांकि बीते कई सालों में यह किसी को जान से मारने के अलावा किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के प्रयोग तक भी जा पहुंचा है। बता दें कि 70 के दशक के मध्य में सेना से शामिल हुए सेवानिवृत्त एसीपी वसंत ढोबले का कहना है कि सुपारी शब्द का इस्तेमाल किसी काम का ठेका देने के लिए होता था।
माहिम के राजा से कनेक्शन: एस हुसैन जैदी की पुस्तक डोंगरी टू दुबई के मुताबिक मुंबई में माहिम प्रांत के राजा भीम के जरिए ‘सुपारी’ प्रचलन में आई। जैदी के अनुसार माहेमी जनजाति के मुखिया भीम की एक दिलचस्प रस्म थी। कोई कठिन कार्य सौंपने से पहले वह अपने माहिम किले में योद्धाओं की एक बैठक बुलाता था। जहां वो योद्धाओं को पहले एक शानदार दावत देता था। उसके बाद सभा के बीच में पान के पत्ते वाली एक प्लेट रखी जाती थी और उसे जो आदमी उठाता था, कठिन कार्य उसे ही सौंपा जाता था।
अंडरवर्ल्ड में सुपारी: इस तरह से काम को सौंपने का चलन 80 और 90 के दशक में मुंबई में लोगों की हत्याओं तक जा पहुंचा। सुपारी के जरिए बड़े पैमाने पर हत्याएं होने लगी थीं। इस दौरान अपने प्रतिद्वंद्वी को खत्म करने के लिए शख्स अंडरवर्ल्ड गिरोह को सुपारी देने लगा। सुपारी की कीमत टारगेट की प्रकृति और उसके प्रभाव पर निर्भर करती थी। आमतौर पर पैसे का भुगतान किश्तों में किया जाता था और अंतिम राशि का भुगतान ‘काम हो जाने के बाद’ किया जाता था।
हुसैन जैदी की किताब के अनुसार पहली सुपारी(कॉन्ट्रैक्ट किलिंग) का आदेश 1969 में गैंगस्टर हाजी मस्तान द्वारा दिया गया था। मस्तान ने दो पाकिस्तानियों को 10000 रुपये देकर गैंगस्टर यूसुफ पटेल मरवाने की सुपारी दी थी। हालांकि उस दौरान हुआ यह हमला यूसुफ पटेल के अंगरक्षकों द्वारा विफल कर दिया गया था।
गुलशन कुमार की हत्या: सुपारी के जरिए ही संगीतकार गुलशन कुमार की हत्या हुई थी। बता दें कि गुलशन कुमार की हत्या 12 अगस्त 1997 को अंधेरी के एक मंदिर के बाहर गोली मारकर की गई थी। पुलिस के अनुसार, दाऊद के भाई अनीस इब्राहिम ने दुबई में गुलशन कुमार को मारने की साजिश रची थी। इसके लिए हत्यारों को 25 लाख रुपये की सुपारी दी गई थी।