राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यमुना नदी की सफाई पर असंतोष प्रकट करते हुए मंगलवार को दिल्ली, हरियाणा और उत्तरप्रदेश की सरकार को काम की गारंटी के तौर पर एक महीने के भीतर 10-10 करोड़ रूपये जमा कराने का निर्देश दिया। सरकार ने अरविंद केजरीवाल सरकार, योगी सरकार और खट्टर सरकार को युमना नदी की स्थति में सुधार लाने के सख्ती से काम करने को कहा है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकारों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास काम को लेकर गारंटी देने का आदेश दिया ताकि इस संबंध में भविष्य में कोई चूक नहीं हो।
अधिकरण ने आगाह किया कि इसका पालन नहीं होने पर तीनों राज्यों के मुख्य सचिव इसके लिए निजी तौर पर जिम्मेदार होंगे। हरित अधिकरण ने स्पष्ट कर दिया कि उसके द्वारा बनायी गयी निगरानी समिति की सिफारिशों के मुताबिक काम नहीं हुआ तो रकम जब्त कर ली जाएगी और समिति को शीघ्र अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया।
अधिकरण ने तीनों राज्यों को अपशिष्ट, नालों की सफाई और मलबा हटाने का काम जल्द से जल्द सुनिश्चित करने को कहा। सेवानिवृत्त विशेषज्ञ सदस्य बी एस सजवान और दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा वाली निगरानी समिति द्वारा दाखिल अंतरिम रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अधिकरण ने यह आदेश दिया। गौरतलब है कि यमुना नदी का पानी पूरी तरह से दूषित हो चुका है। इसे पीना तो दूर नहाना भी दुश्वार है। नदी से दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लोगों को पानी पहुंचता है।
भाषा के इनपुट के साथ।