सरकार ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को आधुनिक भारत का निर्माता मानने से इनकार कर दिया है। शायद इसीलिए भारतीय डाक विभाग ने इस शृंखला के तहत जारी उनके डाक टिकटों को बंद करने का फैसला कर लिया है। एक आरटीआइ के तहत मांगी जानकारी में यह खुलासा हुआ है। दिसंबर 2008 में आधुनिक भारत के निर्माता शृंखला के तहत इन नेताओं की याद में डाक विभाग ने डाक टिकट जारी किए थे।

आरटीआइ को मिले जवाब के अनुसार, अब दीनदयाल उपाध्याय, जयप्रकाश नारायण, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और राममनोहर लोहिया की याद में डाक टिकट जारी किए जाने की योजना है। 2008 में डाकविभाग ने विभिन्न वर्गों की हस्तियों के डाकटिकट जारी किए थे।

इंदिरा और राजीव के अलावा पंडित जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, बीआर आंबेडकर, सत्यजीत राय, होमी जहांगीर भाभा, जेआरडी टाटा और मदर टेरेसा के डाकटिकट जारी किए गए थे। मई 2009 में इस श्रेणी में तीन नाम और जोडेÞ गए। ये थे-ईवी रामास्वामी, सीवी रमन और रुक्मिणी देवी अरुंडेल।

लेकिन आरटीआइ के जरिए पता चला है कि जुलाई 2015 से पांच रुपए वाले डाक टिकट को बंद कर दिया गया है। पांच रुपए वाले डाकटिकट असल में सिर्फ इंदिरा और राजीव के थे। एक अधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि डाकटिकट को बंद करने का आदेश संचार और सूचना तकनीक मंत्रालय की ओर से जारी किया जाता है। जिन दो टिकटों को बंद किया गया है, उन्हें अब और छापने का इरादा नहीं है।

आरटीआइ के अनुसार, डाक विभाग एक अन्य शृंखला जारी करने जा रहा है। इसका शीर्षक होगा-भारत के निर्माता। आधुनिक भारत के निर्माता की जगह डाक टिकटों की यह नई शृंखला होगी। नई श्रेणी में विभिन्न हस्तियों पर 24 डाकटिकट होंगे।

आधुनिक भारत के निर्माता शृंखला की सिर्फ चार हस्तियों-जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, और बीआर आंबेडकर को ही नई शृंखला में जगह मिल पाई है। आरटीआइ को मिले जवाब के अनुसार, नई शृंखला में वल्लभ भाइ पटेल, बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आजाद, भगत सिंह, रबींद्रनाथ टैगोर, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, विवेकानंद, सुब्रह्मण्यम भारती, पंडित रविशंकर, भीमसेन जोशी, एमएस सुब्बुलक्ष्मी और बिस्मिल्लाह खां के नाम पर डाकटिकट जारी हो सकते हैं।

अधिकारी ने बताया कि डाक टिकटों की नई सूची छपने के बाद पुरानी सूची समाप्त हो जाएगी। अधिकारी ने बताया कि ये डाक टिकट देश भरके सभी डाकघरों में मिलेंगे। इससे पहले सरकार ने इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार और राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुस्तक पुरस्कार को बंद किया था। राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार भी सरकार बंद कर चुकी है।