Mirwaiz Umar Farooq: श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को रमजान के आखिरी शुक्रवार को भी बंद रखा गया। इससे पहले रमजान में सबसे पवित्र मानी जाने वाली रातों में से एक शब-ए-कद्र की नमाज के दिन भी इस मस्जिद को बंद कर दिया गया था। अलगाववादी संगठन ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने मस्जिद को बंद किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है।

फारूक ने X पर कहा, ‘जुमा-तुल-विदा के दिन जब लाखों लोग सामूहिक नमाज अदा करने के लिए पूरे साल इस दिन का उत्सुकता से इंतजार करते हैं, तब भी जामा मस्जिद श्रीनगर के लोगों के लिए बंद है और मैं आज भी घर में नजरबंद हूं।’

उन्होंने सरकार के अफसरों से सवाल पूछा कि कश्मीर की धार्मिक पहचान का अहम केंद्र माने जाने वाली इस मस्जिद को बार-बार निशाना क्यों बनाया जा रहा है और लोगों के धार्मिक अधिकारों को कुचला क्यों जा रहा है जबकि हर दिन हालात के सामान्य होने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं? उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर सरकार का नाम लिए बिना उस पर भी हमला बोला।

महबूबा मुफ्ती भी सरकार पर भड़कीं

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी मस्जिद को बंद किए जाने की निंदा की और इसे कश्मीरियों को दी गई सजा का एक और उदाहरण बताया। उन्होंने X पर लिखा, ‘सरकार दावा करती है और जश्न मनाती है कि उसने अलगाववाद को खत्म कर दिया है, वह हर कश्मीरी को अलगाववादी के रूप में देखती है। पूरी तरह से सामान्य स्थिति बहाल करने की उनकी झूठी कहानी की पोल तब खुलती है जब एक ऐतिहासिक मस्जिद को नमाजियों के लिए उस रात को बंद कर दिया जाता है, जिस रात को वे सभी प्यार करते हैं।’

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इस साल फरवरी में सरकार के अफसरों ने शब-ए-बारात पर भी जामिया मस्जिद में नमाज पढ़ने पर भी रोक लगा दी थी। तब इस कदम की कड़ी आलोचना की गई थी।

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केंद्र ने दो संगठनों पर लगाया था बैन

केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के दो संगठनों को बैन कर दिया था। इन संगठनों के नाम अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) और जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम) हैं। एएसी की कमान मौलवी मीरवाइज उमर फारूक के पास और जेकेआईएम का नेतृत्व शिया नेता मसरूर अब्बास अंसारी कर रहे थे। केंद्र की इस कार्रवाई पर मौलवी मीरवाइज उमर फारूक ने कहा था कि सच को ताकत के जरिए दबाया जा सकता है लेकिन चुप नहीं कराया जा सकता।

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