राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुए महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन के समापन समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत दौरे पर आए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी शिरकत की। इस सम्मेलन में पीएम मोदी और संयुक्त राष्ट्र महासचिव जहां मंच साझा कर रहे थे, वहीं कई केन्द्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री और विभिन्न देशों के राजदूत पहली पंक्ति में बैठे हुए थे। पहली पंक्ति में एक ऐसी शख्सियत भी बैठी हुईं थीं, जो कि अध्यात्म की दुनिया का जाना पहचाना नाम हैं। ये शख्सियत थीं अध्यात्मिक गुरु- माता अमृतानंदमयी। बता दें कि माता अमृतानंदमयी केरल के अमृतानंदमयी मठ की प्रमुख हैं। इस सम्मेलन में माता अमृतानंदमयी को सम्मानित किया जाना था।

दरअसल माता अमृतानंदमयी के मठ ने सरकार के स्वच्छ भारत कोष में पिछले 4 सालों के दौरान करीब 14 मिलियन डॉलर का दान दिया है। वहीं इस कोष में पिछले 4 सालों के दौरान कुल 117 मिलियन डॉलर जमा हुए हैं। माता अमृतानंदमयी स्वच्छ भारत कोष में सबसे ज्यादा दान देने वाली शख्सियत हैं। माता अमृतानंदमयी के इसी योगदान के चलते सरकार ने उन्हें सम्मानित करने का फैसला किया था। यही वजह थी कि वह महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन में विशेष तौर पर आमंत्रित की गईं थी। माता अमृतानंदमयी के अलावा स्वच्छता की दिशा में उल्लेखनीय काम करने वाले राज्यों को भी इस कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।

एक सर्वे के आधार पर हरियाणा और उत्तर प्रदेश को बेस्ट परफॉर्मिंग स्टेट्स और बेस्ट इन्वोल्वमेंट इन सिटिजन फीडबैक अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। महाराष्ट्र का सतारा सबसे स्वच्छ जिला चुना गया और उसे इसके लिए सम्मानित भी किया गया। गौरतलब है कि सम्मानित होने वाले तीनों राज्य भाजपा सरकार द्वारा शासित हैं। बहरहाल स्वच्छता सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने महात्मा गांधी पर आधारित एक एग्जीबिशन का भी दौरा किया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरे भी स्वच्छता के मामले में भारत की प्रगति से काफी प्रभावित दिखाई दिए और उन्होंने सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत स्वच्छता के अपने लक्ष्य तय समय से पहले हासिल कर लेगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि भारत राजनैतिक इच्छाशक्ति और समर्पण, जिसके जरिए स्वच्छता पायी जा सकती है, उसका बेहतरीन उदाहरण है