ब्रिटेन की एक महिला पायलट ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय जासूस नूर इनायत खान द्वारा दुश्मन की सीमा में अंजाम दिए गए घातक मिशन को फिर से दशार्ने के लिए एक विशेष उड़ान मिशन की खातिर अपनी छात्रवृत्ति का उपयोग किया है। ब्रिटिश महिला पायलट एसोसिएशन (बीडब्लूपीए) छात्रवृत्ति 2021 जीतने वाली फियोना स्मिथ ने इसे ‘विशेष अभियान कार्यकारी’ (एसओई) से जोड़ने का फैसला किया।

इस छात्रवृत्ति में विमानन क्षेत्र के उत्साही लोगों को ‘विशेष अभियान’ को अंजाम देने के लिए आमंत्रित किया गया था। मैसूर पर 18वीं सदी में शासन करने वाले टीपू सुल्तान की वंशज नूर इनायत खान एक एसओई एजंट थीं, जिन्हें गुप्त खुफिया जानकारी देने के लिए नाजी-कब्जे वाले फ्रांस के एक मैदान में हवाई जहाज से उतारा गया था।

स्मिथ बताती हैं कि एंगर्स शहर के पास कहीं स्थित होने के कारण, मुझे यह जानकर प्रोत्साहन मिला कि पास में एक अच्छी सेवा वाला हवाई क्षेत्र है, और एक त्वरित गणना से पता चला कि लंदन से एक दिन के अंदर वहां पहुंचा जा सकता है। अपने हालिया उड़ान मिशन के बारे में उन्होंने कहा कि मेरा मिशन स्पष्ट था। इंग्लैंड के दक्षिण से एंगर्स के लिए उड़ान भरना, नूर के लिए पुष्पांजलि अर्पित करना और वापस उड़ना। हमारी वास्तविक उड़ान उनके (खान के) इंग्लैंड से रवाना होने के 80वें वर्ष के साथ मेल खाती है।

नूर इनायत खान का जन्म 1914 में मास्को में एक अमेरिकी कवयित्री मां और एक भारतीय सूफी शिक्षक पिता के घर हुआ था। जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ, तो नूर का परिवार इंग्लैंड लौट आया और अपने सूफी और शांतिवादी विचारों के बावजूद, वह फासीवाद से लड़ने के अपने दृढ़ संकल्प के साथ 1940 में महिला सहायक वायु सेना में शामिल हो गईं।

उन्हें जून 1943 में रायल एअर फोर्स (आरएएफ) बेस से एंगर्स के पास एक मैदान में उतारने के लिए एक लिसेन्डर विमान में फ्रांस ले जाया गया था। इस घटना क्रम के 80 साल बाद, एक महिला पायलट उस यात्रा को फिर से दोहराने के लिए प्रेरित हुई। ब्रिटिश भारतीय जासूस को ब्रिटेन के जार्ज क्रास और फ्रांस के ‘क्राइक्स डी गुएरे’ (मिलिट्री क्रास) बहादुरी मेडल से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। नूर इनायत खान उस मिशन से कभी वापस नहीं लौटीं और सितंबर 1944 में जर्मनी के दचाऊ यातना शिविर में उन्हें मार दिया गया।