रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आईआरसीटीसी को निर्देश दिया है कि वह उनके लिये निर्धारित दो सैलूनों का इस्तेमाल आम लोगों के लिये करे। गोयल ने रेलवे की खानपान शाखा से कहा है कि सुरक्षा और संचालन संबंधी आवश्यकताओं की वजह से इस्तेमाल नहीं किये जा रहे सैलून भुगतान के आधार पर आम लोगों के लिये वाणिज्यिक रूप से इस्तेमाल किये जाएं। गौरतलब है कि इस साल के मार्च में आईआरसीटीसी ने शुरू में रेलवे अधिकारियों के लिये आरक्षित रहे सैलून कोचों की सेवाओं को आम लोगों के लिये भी खोल दिया था। इन कोचों में वातानुकूलित कमरे, अटैच शौचालय और दूसरी कई सेवाएं भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मंत्री का मानना है कि यह सैलून औपनिवेशिक मानसिकता के परिचायक हैं जिनकी आधुनिक भारत में कोई जगह नहीं है। उन्होंने न सिर्फ अपने लिये निर्धारित दो सैलून छोड़ दिये हैं बल्कि आईआरसीटीसी से भी कहा है कि वह रेलवे द्वारा इस्तेमाल नहीं किये जा रहे सैलूनों का इस्तेमाल वाणिज्यिक रूप से करे।
रेल मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, “रेल मंत्री अपने लिए चिन्हित दो सैलून का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसलिए उन्होंने इंडियन रेल कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) को इनका वाणिज्यिक या आपात स्थिति में इस्तेमाल करने के लिए कहा है।”
सैलून या निरीक्षण यान में दो परिवार रह सकते हैं और इनमें इस तरह की व्यवस्था होती है कि इसमें चार पांच दिनों तक ठहरा जा सके। इनमें सामान्य रूप से दो शयनकक्ष, लाउन्ज और एक पेन्ट्री होती है। रेलवे में कुल 336 सैलून यान हैं जिनमें से 62 वातानुकूलित हैं।
भाषा के इनपट के साथ।