भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री को लुटियन जोन में सरकारी बंगला मुहैया कराया जाता है। पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्‍यम ने सर्वोच्‍च पदों पर रहे लोगों को आवास मुहैया कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिए हैं। इसे मानने पर पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रतिभा पाटिल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, एचडी देवेगौड़ा जैसे सर्वोच्‍च पदों पर आसीन रहे लोगों को सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्‍हा की पीठ ने इस बाबत दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 23 अगस्‍त, 2017 को गोपाल सुब्रमण्‍यम को एमिकस क्‍यूरे (न्‍याय मित्र) नियुक्‍त किया था। अब उन्‍होंने शीर्ष अदालत को इसको लेकर सुझाव दिए हैं।

गैरसरकारी संस्‍था ‘लोक प्रहरि’ ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर उतर प्रदेश में लागू एक कानून को चुनौती दी है। इसके तहत राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को सरकारी बंगला मुहैया कराने की व्‍यवस्‍था की गई है। ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, गोपाल सुब्रमण्‍यम ने हाल में ही शीर्ष अदालत को सुझाव दिए हैं। उनके अनुसार, शीर्ष संवैधानिक पदों से हटने के बाद सभी व्‍यक्ति आमलोगों की श्रेणी में आ जाते हैं, ऐसे में वे आधिकारिक आवास के हकदार नहीं रह जाते हैं। उन्‍होंने ऐसे आवास को स्‍मारक बनाने का मामला भी उठाया। मालूम हो कि 6 कृष्‍ण मेनन मार्ग स्थित सरकारी बंगले को बाबू जगजीवन राम नेशनल फाउंडेशन को दे दिया गया था। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्रियों पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्‍त्री और इंदिरा गांधी के आवास का भी यही हाल है।

गोपाल सुब्रमण्‍यम ने अपने सुझाव में कहा, ‘शीर्ष पदों (राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री) से हटने के बाद संबंधित व्‍यक्ति को सरकारी सुविधाओं से वंचित कर देना चाहिए। वह दोबारा से भारत के आम नागरिक हो जाते हैं, ऐसे में प्रोटोकॉल के तहत न्‍यूनतम सुविधाएं, पेंशन और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ के अलावा अन्‍य विशेष सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए।’ सुब्रमण्‍यम ने स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहा कि पूर्व राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्रियों को विशेष सुविधाएं देना समानता के अधिकार का उल्‍लंघन है। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आर. भानुमति की पीठ ने मामले की सुनवाई 16 जनवरी तक के लिए टाली दी है।