मॉनसून सत्र 2025 में भारतीय संसद एक नई दिशा में कदम उठाने जा रहा है। अब से सांसदों को अपनी अटेंडेंस लगाने के लिए लॉबी में हस्ताक्षर करने नहीं जाना पड़ेगा बल्कि वो सीट से ही डिजिटल माध्यम से उपस्थिति दर्ज करवा सकेंगे। केंद्र सरकार का मानना है की ये परिवर्तन न केवल समय की बचत करेगा बल्कि संसदीय कार्य को पारदर्शी और तकनीकी रूप से सशक्त भी बनाएगा। जानकारी के मुताबिक लोकसभा कक्ष में प्रत्येक सीट पर मल्टीमीडिया कॉन्फ्रेंसिंग डिवाइस (MMD) स्थापित किए गए हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने जनसत्ता को बताया, “संसाधनों और समय की बचत के लिए एक नई सुविधा जोड़ी गई है जिसके अंतर्गत अब सभी सांसद अपनी उपस्थिति अपने-अपने स्थान पर लगे MMD के माध्यम से दर्ज कर सकेंगे। इससे प्रतिदिन सांसदों का समय बचेगा और एक चरण की आवश्यकता समाप्त होगी।” बता दें कि पहले सांसदों को हाजिरी लॉबी में जाकर रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने होते थे लेकिन नई व्यवस्था के तहत सांसद अपनी सीट पर बैठकर डिजिटल माध्यम से उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे। हालांकि रजिस्टर की व्यवस्था खत्म नहीं हुई है।

डिजिटल डिजिटल तरीके से अटेंडेंस लगाएंगे सांसद

अधिकारी ने आगे बताया, “पारंपरिक रजिस्टर फिलहाल हटाए नहीं जाएंगे लेकिन सांसदों को डिजिटल तरीके से उपस्थिति दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।” यह नई व्यवस्था RFID या डिजिटल लॉगिन सिस्टम पर आधारित हो सकती है, जैसा कि NEVA (National e-Vidhan Application) जैसी प्रणालियों में होता है। सांसदों के लिए डिजिटल डैशबोर्ड या टैबलेट के ज़रिए हाजिरी दर्ज करना संभव होगा।

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डिजिटल अटेंडेंस का उद्देश्य क्या है?

डिजिटल इंडिया पहल के तहत संसद की कार्यवाही को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना।
उपस्थिति प्रक्रिया को तेज़, पारदर्शी और रिकॉर्ड रखने में आसान बनाना।

वैसे केंद्र सरकार का तर्क ये भी है की डिजिटलीकरण का एक बड़ा लाभ यह भी है कि इससे कागज़ की खपत में भारी कमी आएगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, उपस्थिति, दस्तावेज़ और कार्यवाही का डिजिटल रिकॉर्ड रखना आसान होगा, जिससे जवाबदेही और पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।

संसद के दस्तावेज़ों को AI टूल्स की मदद से 12 भाषाओं में किया जाएगा प्रकाशित

इसके साथ साथ भाषायी समावेशन और नागरिक सहभागिता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। लोकसभा सचिवालय अब से संसद के दैनिक कार्यसूची दस्तावेज़ों को AI आधारित टूल्स की सहायता से 12 भाषाओं में प्रकाशित कर रहा है — असमिया, बंगाली, अंग्रेज़ी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल और तेलुगू। ये दस्तावेज़ Digital Sansad पोर्टल पर रियल-टाइम में उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे सांसदों और देशभर के नागरिकों के लिए विधायी कार्यवाही की बेहतर समझ और व्यापक पहुंच सुनिश्चित होती है।

ये ही नहीं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित “राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन” के अंतर्गत तैयार किए गए Bhashini टूल के सहयोग से, लोकसभा सचिवालय ने संसद की कार्यवाही के लिए एक AI-संचालित वर्बैटिम ट्रांसक्रिप्शन टूल विकसित किया है। जिसकी सहायता से आने वाले मानसून सत्र में ये AI -सक्षम ट्रांसक्रिप्शन प्रणाली पारंपरिक वर्बैटिम रिपोर्टिंग के समानांतर कार्य करेगी, जिससे कार्यवाही को अधिक सटीकता, गति और बहुभाषीय समर्थन के साथ दर्ज किया जा सकेगा। इस पहल का दीर्घकालिक उद्देश्य है कि AI-सक्षम ट्रांसक्रिप्शन को मुख्यधारा में लाया जाए, जिससे लोकसभा में हो रही बहसों और चर्चाओं की रियल-टाइम बहुभाषीय पहुंच और दक्षता में वृद्धि हो। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स