पश्चिम बंंगाल सहित देश के कई राज्यों में वोटर लिस्ट SIR प्रक्रिया चल रही है। पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक संगठनों, मस्जिद समितियों और वरिष्ठ धर्मगुरुओं ने मुसलमानों को वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) फॉर्म भरने में मदद के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह यह पहल 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम समुदाय में संभावित परेशानी और भ्रम को दूर करने के लिए की गई है।

राज्यभर में लगभग 40,000 मस्जिदों से लेकर मुस्लिम बहुल इलाकों में चलाए जा रहे जनसंपर्क कार्यक्रमों के जरिए इमामों और सामाजिक संगठनों ने लोगों से अपील शुरू की है। वे लोगों से कह रहे हैं कि शांत रहें, SIR फॉर्म सावधानी से भरें और घबराने से बचें।

कोलकाता में हर साल रेड रोड पर होने वाली नमाज का नेतृत्व करने वाले काजी फजलुर रहमान (इमाम-ए-दीन) ने पीटीआई से कहा कि धार्मिक नेता लोगों को जागरूक करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा, “इमाम की जिम्मेदारी केवल मिंबर (मस्जिद के मंच) तक सीमित नहीं है। हम लोगों से कह रहे हैं कि घबराएं नहीं और SIR प्रक्रिया को समझें। मस्जिद समितियां लोगों की फॉर्म भरने में मदद कर रही हैं ताकि डर और भ्रम को दूर करने के लिए जागरूकता बढ़ाई जा सके।”

4 नवंबर से शुरू हुई SIR प्रक्रिया

पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू हुई। राज्यभर के 80,000 से ज्यादा BLOs को घर-घर जाकर फॉर्म बांटने और दस्तावेजों की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है। यह पूरी प्रक्रिया 4 दिसंबर तक चलेगी। इसके बाद 9 दिसंबर को प्रारंभिक मतदाता सूची (ड्राफ्ट रोल) जारी की जाएगी। लोग अपने दावे और आपत्तियां 8 जनवरी तक दर्ज करा सकेंगे। इसके बाद 31 जनवरी तक सुनवाई होगी। अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी, 2026 को जारी की जाएगी। यह राज्य के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले का अहम कदम माना जा रहा है।

नमाज के बाद आयोजित किए जा रहे ट्रेनिंग सेशन

कोलकाता की नखोदा मस्जिद के इमाम मौलाना शफीक कासमी ने कहा कि करीब 10 करोड़ लोगों के लिए SIR प्रक्रिया को इतने कम समय में पूरा करना संभव नहीं है, और इससे परेशानी या उत्पीड़न की स्थिति पैदा हो सकती है। कासमी ने कहा, “यह लोगों के लिए परेशानी बन जाएगी साहब। सरकार का काम लोगों की मदद करना है, उन्हें मुश्किल में डालना नहीं।”

उन्होंने बताया कि गरीब और हाशिये पर रहने वाले परिवार, खासकर जिनके पास सही दस्तावेज नहीं हैं, वे पहले से ही तनाव में हैं। कासमी ने बताया कि  नखोदा मस्जिद और कई अन्य बड़ी मस्जिदों में नमाज के बाद रोजाना ट्रेनिंग सेशन आयोजित किए जा रहे हैं। साथ ही, हेल्प डेस्क भी लगाई जा रही हैं ताकि लोगों को SIR प्रक्रिया को समझने और सही तरीके से पूरा करने में मदद मिल सके।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद भी एक्टिव

धार्मिक संस्थानों की पहल के साथ-साथ, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी के नेतृत्व में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बंगाल इकाई ने एक बड़े अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान संगठन के 16 लाख सदस्यों, 22 जिलों में फैली 625 इकाइयों, 1,100 मदरसों, 1.65 लाख छात्रों और 25,000 शिक्षकों के नेटवर्क के ज़रिए चलाया जा रहा है।

सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने कहा कि हम इस पूरे ढांचे के माध्यम से यह कार्यक्रम चला रहे हैं। करीब 200 शिविर चल रहे हैं और लगातार नए शिविर जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य लोगों को चुनाव संबंधी दस्तावेज़ भरते समय गलतियों से बचाना और यह सुनिश्चित करना है कि फॉर्म दोबारा या काट-छांट कर न भरे जाएं। चौधरी ने इस अभियान को गैर-राजनीतिक बताया।

उन्होंने कहा, “टीएमसी अपने स्तर पर शिविर चला रही है, लेकिन पार्टी ने मुझे सिर्फ़ मेरे विधानसभा क्षेत्र की ज़िम्मेदारी दी है। इसके अलावा मुझे पार्टी की ओर से कोई अन्य ज़िम्मेदारी नहीं दी गई है।” सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने BLOs के कामकाज पर भी चिंता जताई। उनका कहना था, “मैं देख रहा हूं कि वे ठीक से मैपिंग नहीं कर रहे हैं, और यह भी स्पष्ट नहीं कर रहे कि वे किन इलाकों में जाएंगे।”

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