सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान एक मजेदार वाकया पेश आया। सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्होंने शादी इस वजह से नहीं की क्योंकि उन्हें टैक्स में रियायत चाहिए थी। भारत में बहुत सारे लोग ऐसा करते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने उनकी चुटकी ली।

जस्टिस कौल का कहना था कि कुछ लोग टैक्स में रियायत पाने के लिए शादी को तोड़कर अपने पार्टनर से अलग भी हो जाते हैं। कोर्ट रूम में मौजूद जस्टिस हिमा कोहली तुरंत बोलीं कि वो भी ये ही बात कहने वाली थीं। दोनों जजों को सिंघवी की चुटकी लेते देख कुछ देर के लिए सुप्रीम कोर्ट का माहौल हल्का हो गया। सेम सेक्स मैरिज मामले की सुनवाई के गठित बेंच की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई चंद्रचूड़ भी उनकी बात पर मुस्कुराते दिखे।

सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय बेंच कर रही सुनवाई

उधर आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि में सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को पक्ष बनाया जाए। अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा कि उसने 18 अप्रैल को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चिट्ठी लिखकर इन याचिकाओं में उठाए गए मसलों पर उनकी टिप्पणियां और राय आमंत्रित की है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच से ये आग्रह किया। बेंच में जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एसआर भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं।

केंद्र की अपने हलफनामे में दलील- राज्यों की राय को देख कोर्ट करे फैसला

केंद्र की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है- केंद्र सरकार को राज्यों के साथ परामर्श करके उनके विचार और आशंकाओं को हासिल करके अदालत के समक्ष रिकॉर्ड पर रखने की अनुमति दी जाए। उसके बाद ही सेम सेक्स मैरिज के मसले पर कोई निर्णय लिया जाए, क्योंकि अदालत के फैसले का देश पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा आम लोग और राजनीतिक दल इस विषय पर अलग-अलग विचार रखते हैं।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 25 नवंबर को दो समलैंगिक जोड़ों द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था। इन याचिकाओं में दोनों जोड़ों ने शादी के अपने अधिकार को लागू करने और संबंधित अधिकारियों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपने विवाह को पंजीकृत करने का निर्देश देने की अपील की थी।