केंद्र की मोदी सरकार ने पंजाब में करतारपुर कॉरिडोर बनाने की हरी झंडी दे दी है। गुरुनानक देव जी की जयंती से ठीक एक दिन पहले सरकार ने इसकी घोषणा की है। हालांकि, आपको याद होगा कि कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू ने हाल ही में पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा से जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाने का मुद्दा उठाया था। पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से मुलाकात में उन्होंने इस मसले पर बात की थी। इस घटनाक्रम के बाद केंद्र सरकार ने भारत की तरफ से कॉरिडोर बनाने का ऐलान कर दिया। वहीं, सरकार ने पाकिस्तान से भी अपनी तरफ काम शुरू करने ले लिए कहा है। कॉरिडोर बनाने का सारा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी।

क्यों महत्वपूर्ण है करतारपुर कॉरिडोर: सिख समुदाय के लिए पाकिस्तान स्थित करतारपुर गुरुद्वारा आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। गुरुनानक देव यहां अपने अनुयायियों के साथ 18 साल तक रहे और यहीं पर 1530 ईसवी में उनका देहावसान हुआ था। यहां स्थित गुरुद्वारा वैसे तो लाहौर से 120 किलोमीटर दूर है। लेकिन, भारत के गुरुदासपुर से सीधा दिखाई देता है। जब भी पाकिस्तान की तरफ से बड़े-बड़े घांसों को काट दिया जाता है तब गुरुद्वारा दिखाई देने लगता है। अब तक भारत की सीमा से ही श्रद्धालु दर्शन करते हैं। हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा 1999 में लाहौर बस सेवा शुरू होने के बाद से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित इस गुरुद्वारे में मत्था टेकने पहुंचते हैं। सिख जत्था खास तौर पर साल में चार बार यहां मत्था टेकने पहुंचता है। बैसाखी, गुरु अर्जन देव की शहादत दिवस, महाराजा रणजीत सिंह की बरसी और गुरु गोविंद सिंह की जयंती के मौके पर खासी चहल-पहल रहती है।

धार्मिक आस्था को देखते हुए काफी समय से कॉरिडोर की मांग उठती रही है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और राजनीतिक दलों के नेता इस मुद्दों को उठाते रहे हैं। इनकी मांग रही है कि करतारपुर साहिब जाने के वाले श्रद्धालुओं के लिए रास्ता खोला जाए। ताकि, एक दिन में ही श्रद्धालु करतारपुर जाएं और वापस भारत लौट आएं। चूंकि, करतारपुर साहिब रावी नदी के छोर पर स्थित है। लिहाजा, नदी पर पुल बनाने की मांग उठती रही है।

कॉरिडोर से ख़तरा: करतार पर कॉरिडोर बनने से भारत को पाकिस्तान से ख़तरे की भी आशंका है। कॉरिडोर के निर्माण की वजह से पाकिस्तान की पहुंच भारतीय शहर के बिल्कुल पास हो जाएगी। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में करतारपुर गुरुद्वारे से खालिस्तान समर्थित मुहिम भी खूब परवान चढ़ी है। इसके पहले सालों में ‘सिख रेफरेंडम 2020’ के पोस्टर और पर्चे गुरुद्वारे में देखे गए हैं। कुल मिलाकर पाकिस्तान भारत की आस्था का फायदा उठाकर गंभीर साजिश रच सकता है। सीमा के दोनों तरफ दहशगर्द और नशे के कारोबारी अपनी मुहिम आसानी से चला सकते हैं।