दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों के रिकॉर्ड तैयार रखे। बता दें कि पिछले साल कई लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटा दिए थे। उन्होंने साहित्य अकादमी के सदस्य व लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या पर कोई एक्शन नहीं लेने और देश में कथित तौर पर बढ़ती कट्टरता के विरोध में पुरस्कार लौटाए थे। इसे राष्ट्र का अपमान बताते हुए हाईकोर्ट में एक पीआईएल दायर की गई है।
इसी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस जी रोहिणी और जयंत नाथ ने केंद्र सरकार को लेखकों के रिकॉर्ड तैयार रखने के लिए कहा है। पीआईएल में मांग की गई है कि अवॉर्ड लौटा कर देश का अपमान करने वालों को दंड देने और इस संबंध में कड़े दिशानिर्देश जारी करने का आदेश दिया जाए।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं द्वारा की गई मांग पर अमल के तरीकों का मुद्दा भी उठाया। पीठ ने पूछा, ‘अगर हम दिशानिर्देश बना भी दें और इसके बाद कोई अवॉर्ड लौटाता है तो क्या किया जाएगा?’ कोर्ट ने अवॉर्ड लौटाने वाले प्रत्येक लेखक द्वारा लिए गए स्टैंड और उनके द्वारा कमाई गई रॉयल्टी का ब्योरा मांगा है। याचिका में आठ लेखकों का नाम है। इनमें नयनतारा सहगत भी हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि अगर लेखक पुरस्कार लौटाते हैं तो साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित और बेची गई किताबों के जरिए मिलने वाली रॉयल्टी भी लौटानी चाहिए।
