मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान इस बात का खुलासा किया कि आखिर क्यों उन्हें सब ‘मामा’ कहकर पुकारते हैं।
शिवराज चौहान ने यहां कहा कि ‘मैं सच कहूं तो मुख्यमंत्री के नाते मैंने कम काम किया है, मैंने साढ़े सात करोड़ जनता को परिवार मानकर काम किया है। यह मैं झूठ नहीं बिल्कुल सच बोल रहा हूं।
चौहान ने यहां यह भी कहा कि ‘मैं साढ़ सात करोड़ जनता को अपने परिवार का ही सदस्य मानकर चलता हूं, उनका सुख-दुख सब मेरे हैं। इसलिए जब हमने याजोनाएं बनाई, जनता के दर्द को हमने समझा। गरीब की दुख क्या होती है मैं जानता हूं। मैं अकसर यह सोचा करता था कि नारी-पुरुष में समानता कब होगी? बेटा और बेटी में लोग भेद किया करते थे। किसी के घर बेटा होता तो खुशियां मनायी जाती और बेटी होती तो दुख प्रकट किया जाता।
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शिवराज ने यहां कहा कि ‘मुझे जब मुख्यमंत्री का औधा मिला तब मैंने लाडली लक्ष्मी योजना बनाई। मैंने हर कदम पर बेटी के जन्म लेने से लेकर उसके अंतिम सांस तक सरकार उसके साथ खड़ी कर दी है। बेटियों के मन में एक भाव बनता चला गया कि हमारा मुख्यमंत्री हमारे बारे में सोचता है इसलिए उन्होंने मुझे मामा कहना शुरु कर दिया।
चौहान ने बताया कि ‘बेटियों ने पहले मामा कहा तो फिर बेटे भी शुरु हो गए मुझे मामा कहना। बेटियों को साइकिल दी तो उन्हें भी साइकिल चाहिए थी तो फिर बेटों को भी साइकिल दी। आज हर बच्चा वहां चिल्ला-चिल्लाकर मुझे मामा ही पुकारा करता है। मेरा मध्यप्रदेश के लोगों और वहां के बच्चों से एक अलग तरह का रिश्ता बना हुआ है। मुझे गर्व है कि मुझे मेरी जनता का प्यार और विश्वास हासिल है। यह रिश्ता दिल से बना है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।’