राज्यसभा में सोमवार को आयुष मंत्रालय और उसके कामकाज पर चर्चा की गई। इस दौरान शिवसेना नेता संजय राउत ने संसद में ‘आयुर्वेदिक मुर्गी’ और ‘आयुर्वेदिक अंडे’ को लेकर एक किस्सा सुनाया। दरअसल आयुष मंत्रालय की भूमिका पर बोलते हुए संजय राउत ने कहा कि ‘एक बार वह महाराष्ट्र के एक आदिवासी इलाके में गए थे, वहां लोगों ने उन्हें खाना दिया। इस पर संजय राउत ने खाना देखकर पूछा कि यह क्या है? इस पर आदिवासियों ने बताया कि यह मुर्गी है। संजय राउत बोले की उन्होंने आदिवासियों को बताया कि वह मुर्गी नहीं खाते हैं। इस पर आदिवासियों ने बताया कि यह आयुर्वेदिक मुर्गी है, उन्होंने इस मुर्गी का भरण-पोषण ऐसे किया है कि इसे खाने से शरीर की कई बीमारियां दूर हो जाती हैं!’

संजय राउत ने आगे कहा कि इसी तरह एक बार चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के कुछ लोग उनके पास आए और बताया कि वह आयुर्वेदिक अंडे पर रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस अंडे को बनाने के लिए मुर्गी को सिर्फ हर्बल खाना खिलाया जाता है, इससे जो अंडा बनता है, वह पूरी तरह से शाकाहारी होगा। शिवसेना नेता ने कहा कि आयुष मंत्रालय को इस शाकाहार मांसाहार के विवाद का भी निपटारा करना चाहिए और बताना चाहिए कि ऐसा अंडा या मुर्गी शाकाहार की श्रेणी में आएगा या फिर मांसाहार की?

संजय राउत ने कहा कि ये अच्छी बात है कि मोदी सरकार ने आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी इलाज को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय नाम से नए मंत्रालय का गठन किया है, लेकिन सरकार को इसके बजट को 1500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 हजार करोड़ रुपए करना चाहिए। राउत के मुताबिक आज के प्रतिस्पर्धी युग में सरकार आयुर्वेदिक प्रोडक्ट की एडवरटाइजिंग और पैकेंजिंग को बेहतर कर, कॉलेज-यूनिवर्सिटी में इसकी पढ़ाई का स्तर बढ़ाकर देश के गरीब और शोषित तबके के लोगों को बेहतर इलाज मुहैया करा सकती है।