महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का विवादों से पुराना नाता है। मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे परमबीर सिंह पहले अफसर नहीं हैं, जिन्होंने देशमुख पर कोई आरोप लगाया है। इससे पहले एक पूर्व आईएएस ने भी उनकी पोल खोलने की धमकी दी थी। इतना ही नहीं, उनकी आंखों के सामने शिवसैनिकों ने एक व्यक्ति का कत्ल किया था। फरवरी 2008 में यह वारदात नागपुर में हुई थी।
देशमुख को मौकापरस्त नेता माना जाता है। सरकार किसी की भी हो, वह कैसे भी करके मंत्री बनने का जुगाड़ कर लेते हैं। पांच बार विधायक रहे देशमुख केवल देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट में अपनी जगह नहीं बना सके, क्योंकि वह चुनाव हार गए थे। 2014 में उनके परिवार के सदस्य ने ही उन्हें कटॉल से हरा दिया था। नागपुर के वदविहिरा गांव के निवासी देशमुख पहली बार 1995 में निर्दलीय चुनाव जीते थे। शिवसेना-बीजेपी सरकार को समर्थन देने पर उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया।
हालांकि, बाद में वह इस गठबंधन को छोड़कर शरद पवार की एनसीपी में आ गए। पवार ने उन्हें कटॉल से टिकट दिया। वह जीते और 2001 में एक्साइज, फूड और ड्रग्स महकमे के कैबिनेट मंत्री बने। उनके पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते बांद्रा-वर्ली सी लिंक का निर्माण हुआ। यह उनके करियर का यादगार लम्हा रहा। हालांकि, जब इसका उद्घाटन हुआ तब तक उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। वह मीडिया के लोगों को अक्सर सी लिंक की निर्माणाधीन साइट पर ले जाते रहे थे।
महाराष्ट्र की कैबिनेट में उनकी वापसी 2009 में हुई। तब उन्हें फूड, सिविल सप्लाई और कंज्यूमर प्रोटक्शन जैसा अहम महकमा दिया गया। 2014 में वह अपने भतीजे से चुनाव हार गए। 2019 में फिर से जीते। हालांकि, बहुत से लोग मानते हैं कि देशमुख गृह मंत्रालय के लायक नहीं थे। लेकिन शरद पवार का वरदहस्त उन्हें हासिल था। उनकी वजह से पार्टी को कई बार शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ा।
असेंबली में बीजेपी पर हमले के दौरान वह सेल्फ गोल भी कर गए। दरअसल, देशमुख ने सुसाइड करने वाले मोहन देलकर और एक अन्य आईएएस अफसर का हवाला देकर महाराष्ट्र की बेहतरीन कानून व्यवस्था का बखान किया था। बकौल देशमुख, दिवंगत अफसरों का कहना था कि उन्हें अपने गृह राज्य की बजाए महाराष्ट्र में ही न्याय मिल सकता है। देशमुख के मुताबिक दोनों मध्य प्रदेश से आते थे। वहां बीजेपी की सरकार है। लेकिन नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने एक मिनट बाद ही यह कहकर उन्हें शर्मसार कर दिया कि जिस आईएएस का जिक्र उन्होंने किया वह छत्तीसगढ़ से थे।
परमबीर सिंह से पहले रिटायर आईएएस अफसर आनंद कुलकर्णी उन पर आरोप लगा चुके हैं। अप्रैल 2020 में आनंद महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के चेयरमैन थे। सोशल मीडिया पोस्ट पर उन्होंने देशमुख की पोल खोलने की धमकी तक दे डाली थी। ध्यान रहे कि मुंबई कमिश्नर रहे परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर कहा है कि सचिन वाजे दरअसल देशमुख का खासमखास था। वह उससे वसूली कराते थे।