बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने पूर्व पीएम शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई है। इसके बाद देश में भारी हंगामा मचा हुआ है। अब बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने उनकी सजा के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने कहा कि हर तरह के अन्याय का विरोध करना चाहिए। साथ ही उन्होंने शेख हसीना पर देश को बर्बाद करने का भी आरोप लगाया।
तसलीमा नसरीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “भले ही शेख हसीना ने अनगिनत मस्जिदें और मदरसे बनवाए हों, दूसरे शब्दों में, जिहादी कारखाने और देश को बर्बाद कर दिया हो, भले ही उन्होंने मदरसे की डिग्रियों को विश्वविद्यालय की डिग्रियों के बराबर बनाकर शिक्षा व्यवस्था को नष्ट कर दिया हो, भले ही उन्होंने महिलाओं से द्वेष रखने वाले जिहादियों को धार्मिक उपदेशों के माध्यम से युवाओं का ब्रेनवॉश करने की अनुमति दी।”
मुझे देश से बाहर निकलवा दिया- तसलीमा नसरीन
लेखिका ने आगे कहा, “भले ही उन्होंने यह जानते हुए भी कि जिहादी आतंकवादी क्रूरतापूर्वक उनकी हत्या कर रहे हैं, स्वतंत्र विचारकों को कोई भी सुरक्षा प्रदान करने से इनकार करके अत्यधिक क्रूरता दिखाई हो। भले ही जनवरी 1999 में निर्वासन से अपनी मरणासन्न मां के पास लौटने के तीन महीने बाद, उन्होंने मेरे खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला दर्ज करवाकर मुझे देश से बाहर निकाल दिया हो और भले ही उन्होंने मुझे फिर कभी देश में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी हो।”
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पासपोर्ट रिन्यू पर भी लगाई रोक- तसलीमा नसरीन
तसलीमा नसरीन ने आगे कहा, “मेरे बांग्लादेशी पासपोर्ट को रिन्यू नहीं कराया हो और मेरे विदेशी पासपोर्ट पर मुझे बांग्लादेशी वीजा नहीं दिया हो, भले ही उन्होंने मेरी पुरस्कार विजेता आत्मकथा अमर मेयेबेला पर प्रतिबंध लगा दिया हो, जिसने आनंद पुरस्कार जीता हो, भले ही उनके आदेश पर, दूतावास के अधिकारियों ने मेरे पावर-ऑफ-अटॉर्नी दस्तावेजों को सत्यापित करने से इनकार कर दिया हो, जिससे मुझे गंभीर वित्तीय कठिनाई हुई हो, शेख हसीना के सबसे बुरे दिनों में भी मैं उनके साथ खड़ी रही। न्याय के नाम पर उन पर चलाए गए हास्यास्पद मुकदमे और मौत की सजा का मैंने कड़ा विरोध किया। इससे आपको क्या सबक लेना चाहिए? हर तरह के अन्याय का विरोध करें। चाहे अन्याय आपके दुश्मन के साथ ही क्यों न हो, उस अन्याय का भी विरोध करें।”
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