पिछले कई दिनों बेटी के कत्ल में जेल में बंद इंद्राणी मुखर्जी और शीना बोरा मर्डर केस में एक बार फिर से नया खुलासा हुआ है। मर्डर मामले में साल 2012 में मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसके वरिष्ठ ऑफिसर ने उसे मामला दर्ज करने से रोका था। जब शीना की डेड बॉडी पुलिस को रायगढ़ के जंगल से मिली थी, तो उस मय मामले की जांच पुलिस इंस्पेक्टर सुभाष मिरगे के पास थी।
महाराष्ट्र पुलिस के एक इंस्पेक्टर का दावा है कि 2012 में जब रायगढ़ के जंगल में शीना बोरा का अधजला शव तो मिला था और इसके बाद उन्होंने इस केस में एफआईआर भी दर्ज करनी चाही लेकिन उनके सीनियर अफसर ने उन्हें रोका था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय रायगढ़ के एसपी आरडी शिंदे थे, जिन्होंने इस केस को एक रहस्य ही बनने दिया। ऐसे में ये बात सामने आती है कि सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर को भी इस साजिस के बारे में सब कुछ पहले से ही मालूम था।
लिहाजा पुलिस अधिकारी के इस बयान के बाद एक बार फिर से यह सवाल खड़ा होने लगा है कि कहीं शीना बोरा के मर्डर के मामले को दबाने की कोशिश तो नहीं की गई थी? एसपी पर आरोप लगाते हुए मिरगे ने अपने बयान में बताया कि शिंदे ने उन्हें इस केस को केवल डायरी में दर्ज कर छोड़ देने का आदेश दिया था।
इंस्पेक्टर मिरगे का दावा है कि अधजली लाश और उसके पास मिले जले हुए सूटकेस को देखते हुए लग रहा था कि गंभीर अपराध किया गया है, लेकिन शिंदे ने आदेश दिया था मामले में एफआईआर दर्ज ना की जाए।
बताते चलें कि शीना बोरा का शव रायगढ़ के जंगल से 24 अप्रैल 2012 को मिला था। शीना की मां इंद्राणी, उसके पूर्व पति संजीव खन्ना और ड्राइवर ने कार में उसकी (शीना) की हत्या करके लाश को रायगढ़ के जंगल में ठिकाने लगाने का फैसला किया गया।
शव के टुकड़े करके उसको आग लगाने की कोशिश की गई। पिछले कई सालों से यह केस एक रहस्य बनकर रह गया था, जिसकी हकीकत सिर्फ इंद्राणी जानती थी। लेकिन अब धीरे-धीरे इस राज से पर्दा उठाता जा रहा है।