Operation Sindoor: भारतीय सेना के एयर डिफेंस के डायरेक्टर, लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने बीते दिन संकेत दिए थे कि पाकिस्तान से होने वाले हवाई हमलों को नाकाम करने के लिए स्वर्ण मंदिर में एंटी एयर मिसाइल गन्स तैनात की गई थी। वहीं अब सिख धार्मिक अधिकारियों और शिरोमणि गुरुद्वार प्रबंधक समिति ने इन बातों को खारिज किया है और कहा है कि सेना को ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई थी।

दरअसल, श्री हरमंदिर साहिब के अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने एसजीपीसी द्वारा जारी एक बयान में कहा कि यह कहना गलत है कि सेना को श्री हरमंदिर साहिब में हवाई रक्षा बंदूकें तैनात करने की अनुमति दी गई थी। ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई थी और ऐसी कोई तैनाती नहीं हुई थी।

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ब्लैक आउट के दौरान किया था सहयोग

इस मामले में ज्ञानी अमरजीत सिंह ने कहा कि अमृतसर जिला प्रशासन द्वारा जारी ब्लैकआउट के दौरान प्रबंधन ने बाहरी और ऊपरी लाइटें बंद करके सहयोग किया। हालांकि, जिन जगहों पर धार्मिक आचार संहिता का पालन किया जाता है, वहां लाइटें जलती रहीं थीं।

लेफ्टिनेंट जनरल ने दिया था बयान

दरअसल, सोमवार को ANI के साथ एक इंटरव्यू में लेफ्टिनेंट जनरल डी’कुन्हा ने कहा था कि स्वर्ण मंदिर के अधिकारियों को जब यह बताया गया कि संभवतः कोई खतरा है, तो उन्हें एहसास हुआ। उन्होंने हमें सुरक्षा के लिए बंदूकें तैनात करने की अनुमति दी। स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद कर दी गईं ताकि हम ड्रोन को आते हुए स्पष्ट रूप से देख सकें।

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ज्ञानी ने उठाए बयान पर सवाल

मंगलवार को ज्ञानी अमरजीत सिंह ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठान बिना किसी रुकावट के जारी रहे। उन्होंने आगे कहा कि श्री दरबार साहिब, लंगर श्री गुरु रामदास जी, अखंड पाठ साहिब और संबंधित मंदिरों में दैनिक सेवाएं हमेशा की तरह जारी रहीं। कोई व्यवधान नहीं हुआ और किसी को भी हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। ज्ञानी अमरजीत सिंह ने सेना अधिकारी के बयान के आधार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अधिकारी ने यह दावा क्यों किया, यह तो वही बता सकते हैं। लेकिन मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि ऐसी तैनाती के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई थी।

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सैन्य अधिकारी का बयान चौंकाने वाला

एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने भी बंदूकों की तैनाती के मामले में सेना के साथ किसी भी तरह के समन्वय से इनकार किया। धामी ने कहा कि प्रशासन ने हमसे केवल ब्लैकआउट प्रोटोकॉल के साथ सहयोग का अनुरोध करने के लिए संपर्क किया था। हमने अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी से परामर्श करने के बाद बाहरी लाइटें बंद कर दीं। किसी भी सेना अधिकारी ने किसी अन्य मामले के बारे में हमसे संपर्क नहीं किया।

उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई तैनाती हुई होती तो मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं ने इसे देखा होता और इस पर ध्यान दिया होता…भारत सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सेना के अधिकारी इस तरह के बयान क्यों दे रहे हैं। हेड ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि सेना से किसी ने भी बंदूकों की तैनाती के बारे में मुझसे संपर्क नहीं किया और श्री दरबार साहिब में ऐसा कोई आयोजन नहीं हुआ। सेना अधिकारी का बयान चौंकाने वाला है।