Manmohan Singh Portrait SGPC: सिख विद्वानों, लेखकों और इतिहासकारों ने Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee (SGPC) की इसलिए आलोचना की है क्योंकि SGPC सेंट्रल सिख म्यूजियम में डॉक्टर मनमोहन सिंह की तस्वीर लगाने के अपने ही फैसले से पीछे हट गयी है। SGPC ने यह कदम पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआणा के विरोध के बाद उठाया था।

SGPC के इस कदम को बेहद निराशाजनक बताते हुए सिख समाज के विद्धान लोगों ने कहा है कि यह कदम राजनीति से प्रेरित है और सिखों की यह सर्वोच्च संस्था दबाव में झुक गयी है।

‘आतंकवादियों ने हत्या के लिए धर्म का इस्तेमाल किया’

क्या है यह पूरा मामला?

बताना होगा कि SGPC की कार्यकारी समिति ने 13 मई को एक प्रस्ताव स्वीकार किया था जिसमें कहा गया था कि डॉ. मनमोहन सिंह के चित्र को सिख म्यूजियम में लगाया जाएगा। डॉक्टर मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर 2024 को 92 साल की उम्र में निधन हो गया था। SGPC के सूत्रों के मुताबिक, बलवंत सिंह राजोआणा के अलावा कुछ और कट्टरपंथी गुटों ने भी मनमोहन सिंह की तस्वीर लगाने का विरोध किया था।

राजोआणा ने SGPC के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी को चिट्ठी लिखकर सिख म्यूजियम में डॉक्टर मनमोहन सिंह का चित्र लगाए जाने का विरोध किया था। राजोआणा का कहना था कि कांग्रेस 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए जिम्मेदार है और मनमोहन सिंह इसी पार्टी से प्रधानमंत्री बने थे इसलिए म्यूजियम में उनका चित्र लगाया जाना गलत है।

उद्धव और राज ठाकरे में होगी सुलह? संजय राउत ने कही अपने चीफ के ‘मन की बात’

राजनीतिक दबाव के आगे न झुके SGPC

गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब अध्ययन केंद्र के निदेशक डॉक्टर अमरजीत सिंह ने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह राजनीतिक विरासत से नहीं, बल्कि योग्यता के कारण प्रधानमंत्री बने। 1984 के दौरान वे कांग्रेस का हिस्सा भी नहीं थे।” डॉक्टर अमरजीत सिंह ने कहा कि SGPC को राजनीतिक दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए।

जगद्गुरु नानक देव पंजाब स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी के डीन सरबजिंदर सिंह कहते हैं, “डॉ. मनमोहन सिंह उन दुर्लभ शख्सियतों में से एक हैं जिन पर किसी भी समुदाय को गर्व होगा। उन्हें सिखों की यादगार का हिस्सा होना चाहिए।” सिख रिसर्च इंस्टीट्यूट के को-फाउंडर हरिंदर सिंह कहते हैं कि यह मामला SGPC की उस प्रक्रिया का है जिसके जरिए यह फैसला किया जाता है कि किसे सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिख म्यूजियम सिख कौम की सेवा करने वालों को दिखाने की जगह होनी चाहिए ना कि राजनीतिक कैलकुलेशन को।

‘अगर यह दोहराया गया तो हम चुप नहीं बैठेंगे’

फैसले को लेकर खड़े हो रहे सवाल

इस तरह इसे लेकर लगातार बहस बढ़ती जा रही है और SGPC पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। स्वर्ण मंदिर में स्थित सिख म्यूजियम में खालिस्तानी नेता जनरल सिंह भिंडरावाले से लेकर भारतीय सेना के ऑफिसर्स- लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा और एयर चीफ मार्शल अर्जन सिंह की भी तस्वीरें हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब SGPC तस्वीर बनाने के फैसले का ऐलान करने के बाद वह इससे पीछे हट गयी।

यह भी पढ़ें- सीजफायर के बाद बॉर्डर पर ‘टेंशन’ कम करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे भारत और पाकिस्तान