यौन उत्पीड़न के मामलों में केंद्र के जारी नए सख्त दिशानिर्देशों के अनुसार यौन उत्पीड़न के मामले में किसी फरियादी को तीन महीने तक का वैतनिक अवकाश मिलेगा। साथ ही उसे या आरोपी सरकारी कर्मचारी को जांच के दौरान दूसरे विभाग में स्थानांतरित किया जा सकता है। अनुशासन प्राधिकरण को यौन उत्पीड़न की शिकायतों में जांच को हल्के तरीके से, एकपक्षीय तरीके से या गुप्त उद्देश्य से या फिर सिर्फ इसलिए समाप्त नहीं करने का निर्देश दिया है कि सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मामला कमजोर है।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच करने वाली समिति को शिकायत करने वाली महिला या आरोपी अधिकारी का स्थानांतरण दूसरे किसी कार्यस्थल पर करने की सिफारिश करने का अधिकार होगा। उसे महिला को तीन महीने तक की छुट्टी देने का भी अधिकार होगा। नए नियमों के अनुसार फरियादी की छुट्टियों के खातों में से ये अवकाश नहीं कटेंगे। विशाखा मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप सभी मंत्रालयों और संस्थानों में शिकायत समितियां बनाई गई हैं। इन समितियों की प्रमुख महिला कर्मी होती हैं और इसकी कम से कम आधी सदस्य महिलाएं होनी चाहिए।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने अपने दिशानिर्देशों में कहा कि अगर किसी मामले में किसी दफ्तर में वरिष्ठ स्तर की महिला अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं तो दूसरे कार्यालय से किसी अधिकारी की नियुक्ति की जा सकती है। आला स्तर से किसी तरह के अनुचित दबाव या प्रभाव को रोकने के लिए इस तरह की शिकायत समितियों में एक तीसरे पक्ष को शामिल किया जाना चाहिए, जो कोई एनजीओ या कोई अन्य संस्था हो सकती है जो यौन उत्पीड़न के मामले से परिचित हो।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि फरियादी महिला को घटना के तीन महीने के अंदर शिकायत करना जरूरी है और यदि इस तरह की कई घटनाएं हुई हैं तो आखिरी घटना के तीन महीने के अंदर शिकायत की जानी चाहिए। हालांकि शिकायत समिति समयसीमा बढ़ा सकती है, बशर्ते वह इस बात से संतुष्ट हो कि कुछ हालात ऐसे थे जिन्होंने शिकायतकर्ता को तय समय में शिकायत करने से रोका।
समिति को यदि लगता है कि शिकायत करने वाली महिला को या उसके कानूनी उत्तराधिकारी को कुछ भुगतान किया जा सकता है तो वह राशि आरोपी कर्मचारी के वेतन या भत्तों से काटने की सिफारिश भी कर सकती है। डीओपीटी के दिशानिर्देशों के अनुसार अगर आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं या शिकायतकर्ता जानती है कि ये झूठे हैं या उसने कोई फर्जी या भ्रामक दस्तावेज दिया है तो समिति शिकायत करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी कर सकती है। समिति ऐसे किसी गवाह के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश कर सकती है जिसने झूठे सबूत दिए हैं या कोई फर्जी या भ्रामक दस्तावेज जमा किया है।
केंद्र का कड़ा रुख
* फरियादी को मिलेगा तीन महीने का वैतनिक अवकाश, पीड़ित और आरोपी सरकारी कर्मचारी का किया जा सकता है तबादला।
* यौन उत्पीड़न की शिकायतों में जांच को हल्के तरीके से, एकपक्षीय तरीके से या गुप्त उद्देश्य से या फिर सिर्फ इसलिए खत्म नहीं करने का निर्देश दिया है कि सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मामला कमजोर है।
* समिति को अगर लगता है कि शिकायत करने वाली महिला को या उसके कानूनी उत्तराधिकारी को कुछ भुगतान किया जा सकता है तो वह राशि आरोपी कर्मचारी के वेतन या भत्तों से काटने की सिफारिश भी कर सकती है।